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CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने बांटा बचपन की पिटाई का दर्द, बोले- ऐसा व्यवहार आप कभी नहीं भूलते 

CJI DY Chandrachud Nepal visit: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI D Y Chandrachud) ने कहा कि किशोरों के प्रति संवेदनशीलता जरूरी है।

नई दिल्लीMay 05, 2024 / 07:45 am

Akash Sharma

CJI Chandrachud
CJI Chandrachud Nepal Visit: देश के चीफ जस्टिस (सीजेआइ) डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि बचपन में किया गया व्यवहार बच्चों के दिमाग पर स्थायी प्रभाव डालता है। नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की ओर से किशोर न्याय पर आयोजित संगोष्ठी में बच्चों के प्रति संवेदनशीलता का जिक्र करते हुए सीजेआइ ने खुलासा किया कि कैसे उन्हें अपने स्कूल में मिला शारीरिक दंड उनके दिल और आत्मा पर अंकित हो गया है। सीजेआइ ने कहा कि मैं स्कूल का वह दिन कभी नहीं भूलूंगा, जब मेरे हाथों पर बेंतें मारी गई थीं। मैं शिक्षक को पीठ पर मारने को कहता रहा लेकिन उन्होंने नहीं सुनी। मैं किशोर अपराधी नहीं था और मेरा अपराध सिर्फ यही था कि ड्राइंग के लिए मैं गलत नंबर की सुई ले आया था। शर्म के मारे उन्होंने यह बात अपने माता-पिता को नहीं बताई और कुछ दिनों तक दर्द सहते हुए पिटाई के निशान छिपाते रहे।
सीजेआइ ने कहा कि उस घटना की छाप आज भी उनके दिल में रहती है जब वह काम करते हैं। सीजेआइ चंद्रचूड़ ने कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चों के साथ विभिन्न अपराधों के शिकार बच्चों के प्रति संवेदनशील और सुधारोन्मुख दृष्टिकोण का आह्वान करते हुए कहा कि किशोर न्याय पर चर्चा करते हुए हमें कानूनी विवादों में उलझे बच्चों की कमजोरियों और अनूठी जरूरतों को पहचानना चाहिए। साथ ही यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी न्याय प्रणालियां सहानुभूति, पुनर्वास और समाज में पुन: एकीकरण के अवसरों की सोच वाली हों।डिजिटल खतरों से बचाने की जरूरत

इंटरनेट, ऑनलाइन गेम का दिया उदाहरण

सीजेआइ ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बच्चों के सामने आने वाले खतरों से आगाह करते हुए मोमो चैलेंज का उदाहरण दिया कि कैसे वायरल इंटरनेट धोखा बच्चों को टारगेट करता है। इस धोखाधड़ी में बच्चों में खुद का नुकसान पहुंचाने या आत्महत्या जैसी घटनाएं होती हैं। इससे बचने को लोगाें को शिक्षित और सुरक्षित करने के लिए डिजिटल साक्षरता, जिम्मेदार ऑनलाइन व्यवहार और माता-पिता के प्रभावी मार्गदर्शन जैसे सक्रिय उपायों की जरूरत है।

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