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आगरा

नदी में नहाने गया ‘चंबल का छोरा’ जान बचाने के लिए मगरमच्छ से लड़ा … हाथ और पैर में घाव; अस्पताल में भर्ती 

आगरा में एक 18 साल के युवक पर मगरमच्छ ने हमला कर दिया। घटना 13 मई की है। मगरमच्छ के हमले में घायल युवक का इलाज आगरा के एक अस्पताल में चल रहा है। चंबल नदी के कैंजरा घाट पर नहाते समय गौंसिली गांव के 18 साल के करन को मगरमच्छ नदी के गहरे पानी में खींच ले गया।

आगराMay 16, 2025 / 03:41 pm

Avaneesh Kumar Mishra

मगरमच्छ के हमले में बमुश्किल युवक ने बचाई जान, अस्पताल में भर्ती।

आगरा में एक 18 साल के युवक पर मगरमच्छ ने हमला कर दिया। घटना 13 मई की है। मगरमच्छ के हमले में घायल युवक का इलाज आगरा के एक अस्पताल में चल रहा है। लेकिन, अगर युवक ने बहादुरी न दिखाई होती तो वह आज जिंदा न होता। खुद को बचाने के लिए युवक दो से तीन मिनट तक मगरमच्छ से लड़ा…उसके मुंह पर मुक्के मारे तब कहीं जाकर वह उसके चंगुल से आजाद हुआ।
चंबल नदी के कैंजरा घाट पर नहाते समय गौंसिली गांव के 18 साल के करन को मगरमच्छ नदी के गहरे पानी में खींच ले गया। युवक ने मगरमच्छ से लड़ कर जान बचाई। इस दौरान बांह और सिर जख्मी हो गया। युवक का अस्पताल में इलाज चल रहा है। 

नहाने गया था युवक

घाट पर मंगलवार की सुबह 9 बजे युवक नहा रहे थे। इस दौरान धारा सिंह के बेटे करन के सिर पर मगरमच्छ ने हमला कर दिया। मगरमच्छ से बचने का करन ने प्रयास किया लेकिन, वह उसे गहरे पानी में खींचता लेकर चला गया। इस मामले में करन का कहना है कि मैं बिल्कुल घबरा गया। उसने मेरा पैर अपने मुंह में दबोच लिया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं। उसके दांत काफी नुकीले थे।
मेरे पैर से खून निकलने लगा। फिर उसका अटैक बढ़ता चला गया। मैं चिल्लाने लगा। वहां मौजूद लोग कहने लगे – ‘बचाओ… बचाओ,’ लेकिन कोई पास आने की हिम्मत नहीं कर सका। मगरमच्छ ने दोबारा मेरे हाथ पर हमला कर दिया और मांस का एक टुकड़ा उखाड़ लिया।

हाथ से बह रहा खून…पैर से नोच ले गया मांस का टुकड़ा

करन के ऊपर मगरमच्छ के हमले बढ़ते जा रहे थे, लेकिन करन अभी भी हिम्मत नहीं हार रहा था। करन का कहना है कि जैसे-जैसे मगरमच्छ की पकड़ उस पर मजबूत होती जा रही थी। करन के अंदर हिम्मत और बढञती जा रही थी, करन का कहना है कि इसके बाद मैं एकदम से दूसरी दिशा में घूमा और 2 से 3 मिनट तक मगरमच्छ के मुंह पर मुक्के मारता रहा। इससे मगरमच्छ की पकड़ कुछ कम हुई। मैंने झट से दूसरे हाथ को मगरमच्छ के मुंह से बाहर खींचा और बाहर की ओर छलांग लगा।
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भरोसा ही नहीं हो रहा आज मैं जिंदा हूं

करन का कहना है कि मुझे तो अभी भी भरोसा नहीं हो रहा है कि मैं आज जिंदा हूं। अगर मैंने उस दिन हिम्मत न दिखाई होती तो मगरमच्छ का निवाला बन गया होता और दुनिया में नहीं होता। करन ने बताया कि वह दो बार रेस में चैंपियन रह चुका है और 2 साल पहले 12th पास किया है।

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