अजमेर। पैतृक संपत्ति के विवाद में रविवार सुबह भाई-बहन का खून का रिश्ता भी दगा दे गया। अलवर गेट थाना क्षेत्र के धोलाभाटा में तलाकशुदा छोटी बहन ने अपने ही भाई के शव को घर में नहीं लेकर मुख्यद्वार पर ताला जड़ दिया। मामला थाने पहुंचा तो पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करा बड़े भाई व अन्य रिश्तेदारों को अंतिम संस्कार करने की नसीहत दी।
मामला रविवार सुबह धोलाभाटा गांधीनगर क्षेत्र का है। हेमन्त कुमार अपने छोटे भाई ओमप्रकाश कोली (50) का शव घर के सामने सड़क पर रखकर बाहर खड़ा था। जबकि तलाकशुदा छोटी बहन यशोदा ने पैतृक संपत्ति पर हक जताते हुए मुख्यद्वार पर ताला लगा दिया।
मौके पर बड़ी संख्या में लोग जुट गए। मामला अलवरगेट थाने पहुंचा तो थानाप्रभारी नरेन्द्रसिंह जाखड़, हैडकांस्टेबल भूपेन्द्रसिंह ने मौके पर पहुंच कर समझाइश की। बड़े भाई हेमन्त कुमार शव को लेकर मकान पर पहुंचे। पुलिस ने ओमप्रकाश का शव जवाहरलाल नेहरू अस्पताल की मोर्चरी पहुंचाया। जहां पोस्टमार्टम के बाद शव बड़े भाई हेमन्त कुमार के सुपुर्द कर दिया। पोस्टमार्टम के बाद शव लेकर पहुंचे हेमन्त कुमार ने घर के सामने सड़क पर अर्थी बनवाने के बाद छोटे भाई को अंतिम विदाई दी।
गिरकर हुआ था जख्मी
हेमन्त कुमार ने बताया कि वह 15 मार्च सुबह 10 बजे ओमप्रकाश को खाना देने आया था। तब तक वह ठीक था लेकिन दोपहर में ओमप्रकाश के लहूलुहान होने की सूचना मिली। वह घर के बाहर गिरकर जख्मी हो गया था। उसे जेएलएन अस्पताल लेकर पहुंचने पर चिकित्सकों ने सिर में ‘क्लॉट’ बताते हुए प्राथमिक उपचार के बाद जयपुर एसएमएस अस्पताल रैफर कर दिया। जयपुर ले जाने पर चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। रविवार सुबह शव लेकर घर पहुंचा तो छोटी बहन यशोदा ने मुख्यद्वार पर ताला जड़ दिया।
पोर्च में कर रहा था गुजर-बसर
हेमन्त ने बताया कि वह चार भाई बहन में सबसे बड़ा है। उसके बाद ओमप्रकाश, यशोदा व सबसे छोटी बहन गीता है। तलाक के बाद यशोदा अपने बेटे के साथ पिता देवालाल के मकान में भाई ओमप्रकाश के साथ रहती थी जबकि वह परिवार के साथ अलग किराए के मकान में रह रहा है। पिता देवालाल की 26 अगस्त को मृत्यु के बाद यशोदा ने ओमप्रकाश को बेघर कर दिया। ओमप्रकाश मकान के पोर्च में अपना जीवन बसर कर रहा था।
फांदना पड़ता था दरवाजा
हेमन्त कुमार ने बताया कि ओमप्रकाश की शादी एक साल में ही टूट गई थी। वह कलर, पुट्टी का काम करता था। पिता की मौत के बाद छोटी बहन ने उसको बेघर कर दिया। उसे मकान के दूसरे हिस्से पोर्च में आने-जाने के लिए दरवाजा फांदना पड़ता था।