Maha Kumbh 2025: कुंभ खत्म होते ही कहां गायब हो जाते हैं नागा साधु? काफी रहस्यों से भरी है इनकी दुनिया
Maha Kumbh 2025: कुंभ हो या महाकुंभ, नागा साधु मेले के बाद गायब हो जाते हैं। क्या आप जानते हैं कि मेले के पहले ये कहां रहते हैं और इनका जीवन कैसा होता है?
कुंभ मेला हो या महाकुंभ का मेला, नागा साधु आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं। शरीर पर भस्म लपेट कर दिखाई देने वाले नागा साधु अकसर कुंभ के बाद शायद ही कहीं दिखते होंगे।
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क्या आपने कभी सोचा है कि कुंभ में दिखने वाले नागा साधु मेले के पहले और बाद में कहां निवास करते हैं। नागा साधु कुंभ समाप्त होने के बाद ही आम लोगों की नजरों से ओझल हो जाते हैं।
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इन साधुओं का ज्यादातर समय शिव साधना, गहन तपस्या और एकांत में बितता है। आपको बता दें कि कुंभ मेले में इनका आना एक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है।
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कुंभ के बाद, ये साधु अपने अखाड़ों के साथ वापस हिमालय, जंगलों, गुफाओं और अन्य शांत स्थानों पर लौट जाते हैं। इन स्थानों पर वे तपस्या और योग करते हुए अपनी साधना जारी रखते हैं।
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नागा साधुओं का जीवन आम जनता से अलग और रहस्यमय होता है। यह साधु सांसारिक भोग-विलास से दूर रहते हैं और भगवान शिव की आराधना में लीन रहते हैं।
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क्या आपने सोचा है कि कोई नागा साधु कैसे बनता है। दरअसल, नागा साधु बनने की जो प्रक्रिया है, वो काफी कठिन और अनुशासन पूर्ण होती है, जिसमें व्यक्ति को अपने सांसारिक जीवन बंधनों को त्याग करना पड़ता है।
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नागा साधु बनने की प्रक्रिया किसी अखाड़े में दीक्षा लेने से शुरू होती है। दीक्षा संस्कार में सिर के बाल और शरीर के सभी रोम हटाए जाते हैं, जो सांसारिक जीवन से मुक्ति का प्रतीक है।
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इसके बाद साधु को नया नाम और अखाड़े का सदस्यत्व दिया जाता है। दीक्षा के बाद साधु कठोर तपस्या, शिव साधना और योग करते हैं, अक्सर जंगलों, गुफाओं या हिमालय में एकांतवास करते हुए।
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यहां लिखी गई सभी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसकी विषय सामग्री और प्रयोग किए गए काल्पनिक चित्रण का पत्रिका हुबहु समान होने का दावा नहीं करता।