अलवर वन मंडल की ओर से तय किए गए मानकों के मुताबिक पक्षियों के लिए यहां अलग से बसेरा होगा, जिसमें 90 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षी शामिल होंगे। इनमें कुछ प्रजातियां सरिस्का टाइगर रिजर्व में पाए जाने वाली भी शामिल होंगी। प्रवासी पक्षी भी अपना ठिकाना यहां बना सकें और मनोरंजन के लिए आ सकें, उसके लिए तालाब भी बनेगा, जो झील की शक्ल में होगा। टाइगर, लेपर्ड, भालू समेत अन्य जानवरों के लिए आधा दर्जन एनक्लोजर एक्सपर्ट तैयार करेंगे। जानवर कहां से आएंगे, यह चिडि़याघर अथॉरिटी ही तय करेगी। अफसरों का कहना है कि यह चिडि़याघर सबसे अलग होगा।
चिडि़याघर की बाउंड्रीवाल का काम पूरा चिडि़याघर की बाउंड्रीवाल का काम दो माह में पूरा हो गया है। इसकी डीपीआर डेढ़ माह में तैयार हो जाएगी। उसके बाद जमीन पर काम शुरू होगा। प्रदेश सरकार पहले चरण में जू पर 25 करोड़ खर्च करेगी। वन मंडल एक अधिकारी का कहना है कि कटीघाटी की वास्तविक पहचान वैसी ही रहेगी। ऊंचाई से भी पूरा चिडि़याघर दिखेगा।
जंगल सफारी के लिए अलग से ट्रैक होगा जंगल सफारी के लिए चिडि़याघर में अलग से ट्रैक बनाया जाएगा। हालांकि इसका शुभारंभ पहले चरण में होना संभव नहीं होगा। पहले चिडि़याघर का संचालन होगा और उसके बाद जंगल सफारी।
चिडि़याघर प्रोजेक्ट पर तेजी से कार्य चल रहा है। डीपीआर तैयार होने वाली है। यहां ग्रीनरी भरपूर रहेगी। – संजय शर्मा, पर्यावरण एवं वन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)