इस अवसर पर बिजनौर से आई बैंड ने बैंडवादन किया और शहनाई की धुनो के बीच प्रतिष्ठा हुई। संगीतमय स्वरों के बीच जिनालय के मुख्यद्वार पर मंगल तोरण बांधा गया, केसर कुमकुम के छापे लगाए गए। कांस्य पात्र के घृत में प्रभु का प्रथम मुख दर्शन हुआ और सवा लाख अखंड अक्षत्र से स्वास्तिक आलेखन किया गया। माणक मोदक चढ़ाए गए।पार्श्वनाथ भगवान, गौतम स्वामी, राजेंद्र सूरि गुरुदेव को माणक मोदक चढाने के लाभार्थी व सोना व चांदी के मुद्राओं की दृष्टि के लाभार्थी भी मौजूद रहे।
इस दौरान पूजन के लिए बोलियां भी लगाई गई और अनुमोदना की गई। कार्यक्रम के विधिकारक हेमंत कुमार वेद मुथा, मक्षी मध्यप्रदेश से, विधिकारक अनिल हरण लिंबडी गुजरात से आए हुए हैं। मन मधुकर म्यूजिकल ग्रुप नागदा की ओर से दी जा रही संगीतमय प्रस्तुतियों पर भक्त भाव विभोर हो रहे थे। महोत्सव का आयोजन गुरुवर्या डा. प्रियदर्शना व सुदर्शना के सानिध्य में किया जा रहा है।