गौरतलब है कि बहरोड़ क्षेत्र में सरसों की फसल की कटाई के बाद 15 मार्च से ही किसान अपनी उपज लेकर मंडी में पहुंचने लगते हैं। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में किसान सरसों की खेती पर ही निर्भर हैं। हालांकि, मार्च और अप्रेल के महीनों में किसानों को अपनी सरसों के लिए 5500 से 5800 रुपए प्रति क्विंटल का भाव ही मिल रहा था। इससे वे कुछ मायूस थे। लेकिन मई के महीने में सरसों की मांग में अचानक तेजी आई, जिसका सीधा असर इसके भावों पर देखने को मिला। कृषि उपज मंडी के व्यापारियों के अनुसार, अब सरसों का भाव बढ़कर 6000 रूपए से 6250 रूपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है।
समर्थन मूल्य पर सन्नाटा
वहीं दूसरी तरफ क्रय विक्रय सहकारी समिति के माध्यम से राजफैड ने किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए बहरोड़ कृषि उपज मंडी में समर्थन मूल्य पर सरसों खरीद के लिए कांटा लगाया था। भावों में आई इस तेजी के बाद एक भी किसान अपनी सरसों बेचने के लिए राजफैड के केंद्र पर नहीं पहुंचा है।
किसानों के लिए राहत
सरसों के भावों में आई यह तेजी बहरोड़ के किसानों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आई है। उम्मीद है कि यह सकारात्मक रुझान आगे भी बना रहेगा और किसानों को उनकी मेहनत का उचित फल मिलता रहेगा। मंडी में बढ़ी आवक
सरसों के भावों में इस अप्रत्याशित तेजी के बाद कृषि उपज मंडी में सरसों की आवक भी बढ़ गई है। अब रोजाना एक हजार कट्टों से अधिक सरसों मंडी में बिकने के लिए आ रही है। दरअसल, कई किसानों ने भावों में तेजी आने की उम्मीद में अपनी सरसों की उपज को घरों में ही भंडारित करके रखा था और अब उन्हें अच्छे दाम मिलने की उम्मीद जगी है।
सबसे बड़ी उछाल मई माह में आई
कृषि उपज मंडी के व्यापारी नरेश अग्रवाल, मनीष अग्रवाल, रमेश सैनी और अन्य बताते हैं कि पिछले दो महीनों में सरसों के भावों में 200 रुपए से 300 रुपए प्रति क्विंटल तक की वृद्धि दर्ज की गई है। व्यापारियों की मानें तो, सबसे बड़ी उछाल मई माह में भारत की ओर से पाकिस्तान पर की गई स्ट्राइक के बाद आई है। इस घटनाक्रम के बाद सरसों के भावों में लगभग 200 रुपए प्रति क्विंटल का उछाल देखने को मिला।