इसमें युद्ध के दौरान किए जाने वाले उपायों के बारे में जागरूकता फैलाई गई। इस ड्रिल में जिला प्रशासन, पुलिस, सिविल डिफेंस, एसडीआरएफ, होम गार्ड, अग्निशमन, बिजली निगम, स्काउट-एनसीसी और सामाजिक संस्थाओं ने एकजुट होकर हिस्सा लिया। मॉक ड्रिल से पहले सभी भाग लेने वाली टीमों को ऑपरेशन के उद्देश्यों, उनकी भूमिकाओं और प्रोटोकॉल के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस ब्रीङ्क्षफग ने नकली आपातकालीन परि²श्य के दौरान समन्वय और स्पष्टता सुनिश्चित की।
मॉक ड्रिल में एक उच्च-तीव्रता वाली आपदा स्थिति का अनुकरण किया गया, जिसमें निकासी, बचाव कार्य, चिकित्सा सहायता, भीड़ प्रबंधन और वास्तविक समय में संचार जैसे पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया। घटना के दौरान 136 फंसें लोगों को बाहर निकाला, 119 लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा, जबकि 15 घायलों को अस्पताल व 2 मृतकों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। इस दौरान सभी एजेंसियों ने त्वरित और कुशल प्रतिक्रिया के साथ अपनी तैयारियों का शानदार प्रदर्शन किया। इसमें विभिन्न विभागों के अधिकारियों, कर्मचारियों, सिविल डिफेंस, एसडीआरएफ और अन्य हितधारकों के स्वयंसेवकों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। जिला कलक्टर कल्पना अग्रवाल ने कहा कि ये मॉक ड्रिल हमें युद्ध जैसी किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार करेंगी और हमें अपने आसपास के लोगों की मदद करने में सक्षम बनाएंगी।
मॉक ड्रिल के दौरान नीमराणा एएसपी शालिनी राज, उपखंड अधिकारी महेंद्र ङ्क्षसह यादव, डीएसपी सचिन शर्मा, थानाधिकारी राजेश कुमार मीणा, सीबीईओ कर्मङ्क्षसह यादव सहित चिकित्सा विभाग टीम व अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।