48 बाघ-बाघिन
शुरुआत में बाघों का यहां से सफाया हो गया था, लेकिन धीरे-धीरे कुनबा बढ़ता गया। अब जंगल में 48 बाघ-बाघिन हैं। शावकों की संख्या भी 26 पहुंच गई है। शावकों का नामकरण जैसे-जैसे किया जा रहा है, वह टेरेटरी की तलाश में बाहर निकल रहे हैं। आबादी में घुस रहे हैं। ऐसे में जंगल छोटा पड़ रहा है। इसे देखते हुए सरिस्का प्रशासन ने अलवर वन मंडल के राजगढ़, थानागाजी व जयपुर वन मंडल का कुछ एरिया सरिस्का में शामिल करने का प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा गया है। यह एरिया 660 वर्ग किमी का है।
जंगल विस्तार के बाद यह कदम उठाए जाएंगे
जुलाई तक इस प्रस्ताव पर मुहर लगने की संभावना है। क्योंकि तीन से चार शावक ऐसे हैं जो अपनी टेरेटरी बनाएंगे। ऐसे में वह जंगल से बाहर निकल सकते हैं। यदि यह जंगल शामिल हो गया तो इन नए टाइगरों को नए जंगल में प्रवेश कराया जा सकता है। जंगल के विस्तार के बाद यहां वन्यजीवों को सुरक्षित एरिया मिलेगा। खुलकर सांस ले सकेंगे। बाघों में टेरेटरी का संघर्ष कम हो जाएगा। पेट्रोलिंग बढ़ जाएगी। स्टाफ की तैनाती होगी। साथ ही चौकियां खुलेंगी और नाके बनेंगे।
सीईसी ने भी दिया था सुझाव
सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल एपावर्ड कमेटी (सीईसी) ने पिछले साल सरिस्का का भ्रमण करने के बाद सुझाव दिया था कि जंगल का विस्तार जरूरी है। साथ ही सीटीएच एरिया का दोबारा निर्धारण किया जाए। सीटीएच एरिया का प्रस्ताव सरिस्का प्रशासन ने निर्धारित करके सरकार को भेज दिया। अब जंगल के विस्तार का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। सरिस्का टाइगर रिजर्व में 660 वर्ग किमी का एरिया और शामिल करने का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा गया है। जैसे ही मंजूर होगा, तो इसका लाभ वन्यजीवों को मिलेगा – संग्राम सिंह कटियार, क्षेत्र निदेशक, सरिस्का।