अलीबख्श के ख्यालों की भाषा से अनुमान लगाया जा सकता है कि इन्होंने उर्दू का प्रारंभिक ज्ञान था। लोकनाट्य की कला के साथ संगीत में भी इन्होंने निपुणता हासिल की थी। एक बार पेहल से पैदल चलकर रैणागिर गांव की घाटी से होकर मुंडावर के लिए आ रहे थे तो इन्हें एक साधु के दर्शन हुए। संत गरीबदास की प्रेरणा से मनसा देवी की स्तुति की। मनसा माता की स्तुति के लिए जो रचनाएं बनाई, उन्हीं से अलीबख्श के संगीत सम्राट बनने का सिलसिला शुरू हुआ। अलीबख्श ने अनेक राग-रागिनी लिखी थी जो आध्यात्मिक थी।
रेवाडी के महादेव मंदिर से भी जुडा है अलीबक्श का इतिहास इनकी कर्म भूमि रेवाड़ी हरियाणा बताई जाती है। रेवाड़ी के घंटेश्वर मंदिर जीर्णोद्धार के लिए धन की कमी पड़ी तो अलीबख्श को बुलाया गया। अलीबख्श ने भजन प्रस्तुत कर घंटेश्वर महादेव की स्तुति कर तमाशा दिखाया तो उसे मंदिर का अधूरा निर्माण कार्य पूरा हुआ। आज भी महादेव मंदिर रेवाड़ी पर इनका शिलालेख लगा हुआ है।
अलीबख्श ने की थी 9 ख्यालों की रचना अलीबख्श की सभी रचनाएं हिंदू, मुस्लिम एकता का भाव लिए हुए हैं। उनके हर भजन में समाज को जोड़ने व एकता का संदेश हैं। मुस्लिम परिवार में जन्म लिया परंतु श्रीकृष्ण भगवान के भक्त थे। बताया जाता है कि अलीबख्श ने 9 ख्यालों की रचना की थी जिसमें कृष्ण लीला, निहाल दे, पद्मावत, नल दमन, फिसाना अजाइब, गुलबकावली, चंद्रावत, महाराज शिवदान सिंह का बारहमासा तथा अलवर का सिफत नामा। ज्यादातर हिंदू कथाओं से संबंध ख्यालों की रचना की और उनके संगीत के प्रदर्शन से एक नई शैली अलीबख्श ख्याल शैली प्रसिद्ध हुई।
2018 में बनाया गया पैनोरमा ग्राम मुंडावर जिला खैरथल तिजारा में श्रीकृष्ण भक्त अलीबख्श के पैनोरमा का निर्माण राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण ने करवाया। इस पैनोरमा का निर्माण पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा एवं तत्कालीन विधायक स्वर्गीय धर्मपाल चौधरी के प्रयासों से किया गया था। इसका लोकार्पण 27 सितंबर 2018 को हुआ था। पैनोरमा पहाड़ी के ऊपर बनाया गया है जो मुंडावर की आन-बान और शान है।
– शैतान सिंह यादव, वरिष्ठ अध्यापक, रा.उ.मा. विद्यालय उलाहेड़ी, मुंडावर व सदस्य अलीबख्श लोक कला मंडल मुंडावर।