इस बार बन रहे हैं विशेष शुभ योग
इस वर्ष परशुराम जयंती 29 अप्रैल 2025 को पड़ेगी। पंचांग के अनुसार, तृतीया तिथि 29 अप्रैल को शाम 05:31 बजे शुरू होगी और 30 अप्रैल को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी। शास्त्रों में रोहिणी नक्षत्र को विशेष शुभ और समृद्धि देने वाला माना गया है। इस दिन का स्वामी ग्रह बुध ज्ञान, बुद्धि और वाणी का कारक है। यह भी पढ़ें: Parshuram Jayanti 2025 Quotes: “धर्म की रक्षा करना ही सच्चा जीवन”, परशुराम जयंती पर भेजें ये 15 कोट्स ऐसे में परशुराम जयंती
(Parshuram Jayanti 2025) का यह पावन दिन साधना, जप, दान और आराधना के लिए अत्यंत फलदायक रहेगा। विद्वानों का मानना है कि इस विशेष योग में श्रद्धा-भाव से भगवान परशुराम की आराधना करने से जीवन में धर्म, सुख और समृद्धि का स्थायी वास होता है।
परशुराम जयंती की पारंपरिक पूजा विधि
परशुराम जयंती के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और पवित्र वस्त्र धारण करें। घर के पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध कर भगवान परशुराम की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें। उन्हें पुष्प, अक्षत, चंदन, तुलसी और शमीपत्र अर्पित करें। “ॐ परशुरामाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें और धूप, दीप तथा नैवेद्य अर्पित करें। इस दिन व्रत रखकर संयमपूर्वक पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करना भी अत्यंत शुभ माना गया है।
परशुराम जयंती से जुड़ी खास मान्यताएं
मान्यता है कि भगवान परशुराम ने पृथ्वी से अधर्म और अत्याचार का अंत कर धर्म की स्थापना की थी। उन्हें आज भी अमर अवतार माना जाता है, जो समय आने पर भगवान कल्कि को दिव्य अस्त्र प्रदान करेंगे। परशुराम जी ब्राह्मणों और तपस्वियों के रक्षक तथा क्षत्रियों के अन्याय के विरोधी के रूप में पूजे जाते हैं। इस दिन गुरुजनों का आदर करना और ब्राह्मणों को श्रद्धापूर्वक दान देना विशेष पुण्यफल देने वाला कहा गया है। भारत के कई क्षेत्रों में परशुराम कुण्ड में स्नान और विशेष अनुष्ठान का भी महत्व है।