जानकारी के अनुसार, डॉ. बेग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, नगरा (बलिया) में कार्यरत थे। पीजी कोर्स के लिए वे कार्यमुक्त हुए थे। उनका दावा है कि उन्होंने निजी खर्चे पर प्राइवेट संस्थान से पीजी की पढ़ाई की है। हालांकि, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महानिदेशक (प्रशिक्षण) के अनुसार, डॉ. बेग को पीजी में दाखिला सरकारी कोटे के अंक के आधार पर मिला था।
नियमों के तहत, सरकारी कोटे से पीजी करने वाले डॉक्टरों को पढ़ाई पूरी होने के बाद अनिवार्य रूप से पुनः सरकारी सेवा में योगदान देना होता है। लेकिन डॉ. बेग न तो नगरा सीएचसी पहुंचे और न ही बलिया सीएमओ कार्यालय में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
इस अनुशासनहीनता को गंभीरता से लेते हुए शासन ने डॉ. बेग को 1 करोड़ रुपये की वसूली के लिए नोटिस जारी किया है। नोटिस अपर निदेशक (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण) आजमगढ़ मंडल कार्यालय पहुंचने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है।
इस संबंध में अपर निदेशक डॉ. बालचंद ने बताया कि, “नियमों के तहत शासन द्वारा 1 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की नोटिस जारी की गई है। मामले में नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।”