जिस दिन छुट्टी में आना था घर, उसी दिन तिरंगे में लिपटा आया शहीद का शव, तीन साल की बेटी ने दी मुखाग्नि
तिरंगे से लिपटकर जब जवान का पार्थिव शरीर गांव आया तो पूरा गांव रो पड़ा। ग्रामीण जब तक सूरज चांद रहेगा, वसित तेरा नाम रहेगा, का नारा लगाते रहे। बाजे-गाजे के देश भक्ति गीतों के साथ रैली के माध्यम से पार्थिव शरीर को गांव लाया गया।
Salute to martyrdom : दो दिन पहले पत्नी से फोन से बात कर छुट्टी लेकर सोमवार को घर आने की बात कही थी, लेकिन डौंडी विकासखंड के फागुनदाह के एसटीएफ के शहीद जवान वसित रावटे का पार्थिव शरीर तिरंगे लिपटकर घर पहुंचा।
देशभक्ति गीतों और रैली के साथ घर पहुंचा पार्थिव शरीर
तिरंगे से लिपटकर जब जवान का पार्थिव शरीर गांव आया तो पूरा गांव रो पड़ा। ग्रामीण जब तक सूरज चांद रहेगा, वसित तेरा नाम रहेगा, का नारा लगाते रहे। बाजे-गाजे के देश भक्ति गीतों के साथ रैली के माध्यम से पार्थिव शरीर को गांव लाया गया।
बालोद में शहीद को दी गई श्रद्धांजलि
बीजापुर से पार्थिव शरीर पहले बालोद लाया गया, जहां विधायक संगीता सिन्हा एवं कुंवर सिंह निषाद, विकास चोपड़ा, वीरेंद्र साहू, एसपी सुरजन भगत, कलेक्टर इंद्रजीत चंद्रवाल, एएसपी अशोक जोशी सहित अन्य पुलिस अधिकारियों ने जवान को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद पार्थिव शरीर सोमवार को दोपहर ढाई बजे गांव पहुंचा।
जवान के अंतिम संस्कार में शामिल होने क्षेत्रीय विधायक अनिला भेंडिया भी ग्राम फागुनदाह पहुंची। तीन साल की मासूम बेटी मीरा रावटे ने अपने पिता शहीद वसित रावटे को मुखाग्नि दी।
मां-पिता, भाई, पत्नी व मासूम बच्चियों सहित परिजनों का रो रोकर बुरा हाल
जब जवान वसित रावटे के पार्थिव शरीर को पुलिस एवं एसटीएफ के जवानों ने उनके घर के पास अंतिम दर्शन के लिए रखा तो परिजन व गांव के ग्रामीण रो पड़े। मां-पिता, उनके भाई, पत्नी व दो मासूम बच्चे सहित परिजनों का रो रोकर बुरा हाल था। पत्नी अपने पति को याद कर बेसुध हो गई। राजकीय सम्मान के साथ गांव के मुक्तिधाम में शहीद जवान वसित रावटे को अंतिम विदाई दी।
रविवार को बीजापुर के नेशनल पार्क में डीआरजी, एसटीएफ व बस्तर फाइटर की संयुक्त टीम और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ में 31 माओवादियों को मौत के घाट उतारा, लेकिन माओवादियों से लोहा लेते हुए दो जवान शहीद हो गए। इसमें डौंडी विकासखंड के फागुनदाह निवासी वसित रावटे भी शामिल हैं।
शिक्षाकर्मी की नौकरी छोड़कर एसटीएफ को चुना
परिजनों के मुताबिक उनका बचपन से ही फौज में जाने का सपना था। 2016 में वसित का सेना की दो नौकरी के लिए ज्वाइनिंग लेटर आया था। तिब्बत पुलिस व एसटीएफ से लेटर आया था, जिसमें से उन्होंने एसटीएफ को चुना। उन्होंने शिक्षा कर्मी की नौकरी छोड़कर एसटीएफ को चुना। उनकी शादी 2019 में खिलेश्वरी के साथ हुई थी।
शहादत से गांव में पसरा मातम
एसटीएफ जवान वसित रावटे की शहादत के बाद उनके गांव व घर में मातम पसरा हुआ है। मां व पिता से उनके बेटे, पत्नी से हमेशा के लिए पति का प्यार व दो मासूम बेटियों मीरा और जिज्ञासा से हमेशा के लिए पिता का साथ छूट गया। बड़े भाई से छोटे भाई का प्यार छूट गया।
एक सप्ताह पहले ही आया था घर
परिजनों के मुताबिक जवान वसित एक सप्ताह पहले ही गांव आए थे। घर में मात्र एक दिन ही रुके। उसके बाद वापस बीजापुर चले गए। सोमवार को वापस घर आने की बात मोबाइल फोन से परिजनों से बात हुई थी। लेकिन सोमवार को उनका पार्थिव शरीर घर आया।
पत्नी शहीद के शव को पकड़ कर रोने लगी
शहीद जवान वसित रावटे की पत्नी खिलेश्वरी ताबूत में रखे अपने शहीद पति के शव को पकड़कर बिलख-बिलख कर रोने लगी और उसके चेहरे को सहलाते रही। जब उसने शहीद जवान अमर रहे, भारत माता की जय के नारा लगाया तो ग्रामीण भी जोर जोर से नारे लगाने लगे। इसे देख उसके तीन व डेढ़ साल के मासूम बच्चे और गांव के लोगों की आंखों से आंसू बहने लगे।
चिखलाकसा से मोटर साइकिल रैली निकाली
नगर पंचायत चिखलाकसा से पार्षद वेंकटराव के नेतृत्व में युवाओं ने मोटर साइकिल में तिरंगे झंडे को लेकर भारत माता की जय, शहीद जवान वसित अमर रहे के नारों के साथ शहीद के गृह ग्राम फागुनदाह पहुंचे।
चार नक्सलियों को मार गिराया, तीन बार खुद की बची जान
बस्तर में लाल आंतक खत्म करने की बड़ी मुहिम चलाई जा रही है। इस अभियान के दौरान कई बार उन्होंने हिस्सा लिया है। नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में कई दफा शामिल रहे और जांबाजी दिखाई। तीन बार उनकी जान भी बची है। घने जंगल में नक्सलियों के साथ हो रही गोलीबारी में शरीर के ऊपर से गोली निकल गई और वे बाल-बाल बच गए। उन्होंने हाल ही में चार नक्सलियों को मार गिराया था।
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