अदालत पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येडियूरप्पा की याचिका पर भी अपना फैसला सुनाएगी, जिन्होंने नाबालिग लडक़ी के यौन उत्पीडऩ के आरोप में उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले की वैधता पर सवाल उठाया है। उन पर भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के साथ-साथ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखने वाले जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने आदेश सुनाने के लिए शुक्रवार को दोनों याचिकाओं को सूचीबद्ध किया है।
आईएमए घोटाला : उच्च न्यायालय ने SI को छोड़ने संबंधी निचले कोर्ट का फैसला बरकरार रखा
बेंगलूरु. उच्च न्यायालय ने आई मॉनिटरी एडवाइजरी (आईएमए) घोटाले में पुलिस उपनिरीक्षक गौरी शंकर को आरोप मुक्त करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका खारिज कर दी। निचली अदालत ने गौरी शंकर को आरोप मुक्त करते हुए कहा था कि उन्हें प्रथम दृष्टया दोषी ठहराने के कोई सबूत नहीं है। सीबीआई ने दलील दी कि एसआई को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त सामग्री मौजूद है। गौरी शंकर के खिलाफ आरोप यह था कि उन्होंने आईएमए के खिलाफ दर्ज विभिन्न शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए मामले के मुख्य आरोपी मोहम्मद मंसूर खान से वसीम नामक एक व्यक्ति के माध्यम से कई मौकों पर रिश्वत मांगी और स्वीकार की। सीबीआई ने दलील दी कि विशेष अदालत ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर गौरी शंकर को आरोप मुक्त करने से पहले एक छोटी सुनवाई की।
दूसरी ओर, गौरी शंकर की ओर से दलील दी गई कि निचली अदालत अभियोजन पक्ष के लिए डाकिया की भूमिका नहीं निभाती है और कहा कि उसे बरी करने के 100 पन्नों के आदेश में कानून के पूरे दायरे पर विचार किया गया है। न्यायाधीश एम नागप्रसन्ना ने संजय कुमार राय और कंचन कुमार मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का हवाला दिया, जिसमें शीर्ष अदालत ने आरोपी को बरी करने की मांग करने वाले आवेदन का जवाब देने में निचली अदालत की भूमिका पर स्पष्ट रूप से विचार किया है।