स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडूराव ने गुरुवार को अस्पताल में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में रिपोर्ट और इसके तथ्य सामने रखे।उन्होंने कहा कि अंतिम रिपोर्ट में हासन में हृदय संबंधी मौतों Heart Attack Related Deaths में अचानक वृद्धि का कोई सबूत नहीं मिला। पिछले 6 महीनों में जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवैस्कुलर साइंसेस, बेंगलूरु और मैसूरु तथा कलबुर्गी में इसके परिधीय केंद्रों में हृदय संबंधी मामलों के आंकड़ों के विश्लेषण मेें हृदय संबंधी मृत्यु की कोई बढ़ती प्रवृत्ति नहीं दिखी।
ज्यादातर मौतों को ज्ञात स्वास्थ्य जोखिमों से जोड़ा जा सकता है। फिर भी, युवा वयस्कों की मौतों के समूह को एक चेतावनी संकेत के रूप में वर्णित किया गया है जिसके लिए निवारक कार्रवाई आवश्यक है।
24 मौतों की विस्तृत जांच रिपोर्ट के अनुसार 24 मौतों की विस्तृत जांच की गई। इनमें 14 मृतक 45 वर्ष से कम आयु के थे। मृतकों में से 10 की आयु 45 वर्ष से अधिक थी। कुल मौतों में से, चार गैर-हृदय संबंधी पाई गईं, और इनके लिए गुर्दे की बीमारी, दुर्घटना, संक्रमण और बिजली का झटका जैसे कारण जिम्मेदार ठहराए गए। 20 मामलों की पहचान या तो हृदय Heart संबंधी या हृदय संबंधी होने की संभावना वाले के रूप में की गई, जिनमें से दस की पुष्टि शव परीक्षण, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम या प्रलेखित नैदानिक इतिहास के माध्यम से की गई, और शेष दस को लक्षणों और पूर्व-मौजूदा जोखिम कारकों के आधार पर संभावित हृदय संबंधी मौतों के रूप में वर्गीकृत किया गया।
मोटापा, शराब, मधुमेह, धूम्रपान और उच्च रक्तचाप रिपोर्ट में मृतकों में सामान्य स्वास्थ्य और जीवनशैली जोखिम कारकों को भी सूचीबद्ध किया गया। आठ-आठ मामलों में मोटापा और शराब का सेवन, सात में मधुमेह, छह-छह मामलों में धूम्रपान और उच्च रक्तचाप तथा तीन-तीन मामलों में हृदय रोग का इतिहास या हृदय संबंधी स्थितियों का पारिवारिक इतिहास शामिल है।
स्थिर या फिर थोड़ा कम हालांकि, मई-जून 2024 के आंकड़ों से तुलना करने पर पता चला कि इस वर्ष हासन में हृदय संबंधी मौतों की संख्या में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है। दरअसल, बेंगलूरु, मैसूरु और कलबुर्गी जैसे अन्य जिलों के आंकड़ों के साथ तुलना करने पर, हृदय संबंधी मौतों का रुझान स्थिर या फिर थोड़ा कम दिखा।
कुछ का हृदय रोग का कोई लिखित इतिहास नहीं सबसे चिंताजनक तथ्यों में से एक यह था कि कई मौतें 19 से 43 वर्ष की आयु के युवाओं की थीं, जिनमें से कुछ का हृदय रोग का कोई लिखित इतिहास नहीं था। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह आबादी में समय से पहले हृदय रोग के बढ़ते बोझ को रेखांकित करता है और तत्काल सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
कई चुनौतियां रिपोर्ट में कई गंभीर चिंताएं भी व्यक्त की गईं। कई मामलों में, व्यक्तियों को अस्पताल नहीं ले जाया गया या पहुंचते ही मृत घोषित कर दिया गया। पोस्टमार्टम की कमी और नैदानिक रिकॉर्ड के अभाव के कारण मृत्यु के सही कारण की पुष्टि करना मुश्किल हो गया। जांचकर्ताओं ने यह भी नोट किया कि कुछ परिवारों से सीमित सहयोग के कारण विस्तृत चिकित्सा और परिस्थितिजन्य जानकारी जुटाने के प्रयास बाधित हुए।