पढ़ाई के साथ पैसे का भी नुकसान
तय अवकाश के अतिरिक्त छुट्टी होने पर सरकारी और निजी स्कूलों के लाखों विद्यार्थियों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है, जिससे उनके माता-पिता को फीस के नुकसान के साथ मानसिक तनाव भी झेलना पड़ रहा है। एक ओर जहां बच्चे घर पर भी पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। वहीं शिक्षकों को भी सिलेबस पूरा करने की चिंता रहती है।तीन साल में…
2025 : जनवरी में जयपुर, कोटा , अजमरे, करौली, उदयपुर, राजसमंद, नागौर व कई जिलों में अवकाश बढ़ाया। जयपुर, करौली, टोंक, चित्तौड़गढ़ और कोटा में 18 जनवरी तक इजाफा।2024 : जनवरी में बीकानेर, नागौर, झालावाड़ में 11 तक सवाई माधोपुर में 8वीं तक के बच्चों की छुट्टियां 16 तक बढ़ाई।
2023 : 25 जिलों में कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों की छुट्टियां 4 दिन तक बढ़ीं। इसी साल जून के दूसरे सप्ताह में बिपरजॉय तूफान के कारण सिरोही, पाली, जालोर और उदयपुर जैसे जिलों में एक दो दिन का अवकाश घोषित।
इन पर करें विचार
- * जनवरी में प्रवेश, दिसंबर में वार्षिक परीक्षाएं, फिर वार्षिकोत्सव।
- * मौसम की अनुकूलता के समय सिर्फ पढ़ाई व सहशैक्षणिक गतिविधियां हों।
- * गर्मी व सर्दी के चरम पर विपरीत मौसम में होमवर्क और प्रोजेट वर्क को प्रोत्साहन मिले।
- * उत्सव, पर्व एवं जयंतियों पर संतुलित अवकाशों पर विचार किया जाए।
विकल्प की जरूरत
- * ऑनलाइन और ऑफलाइन पढ़ाई के बीच सामंजस्य तलाशे।
- * सरकारी व निजी स्कूलों के विद्यार्थियों के बीच अध्यापन में समानता लाने की दरकार।
- * कोरोनाकाल के अनुभवों का लाभ लेकर विद्यालयों को अपग्रेड किया जा सकता है।
- * गर्मी और सर्दी के दिन स्थानांतरित और घट-बढ़ रहे हैं। उसी अनुरूप इन अवकाशों को कम-ज्यादा करने पर विचार हो।
- * छुट्टियों में कक्षानुसार क्रिएटिव टास्क, होमवर्क व प्रोजेट्स दें।
इतनी पढ़ाई जरूरी
इतनी पढ़ाई जरूरीशिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई), 2009 के तहत, पढ़ाई के न्यूनतम दिन-घंटे की अनिवार्यता तय। प्राथमिक स्तर
- * न्यूनतम 200 दिन/वर्ष
- * पढ़ाई न्यूनतम 4 घंटे/दिन
- * न्यूनतम 220 दिन/वर्ष
- * न्यूनतम 5 से 6 घंटे पढ़ाई