एमजी अस्पताल की पार्किंग में निजी एम्बुलेंस (फोटो: पत्रिका)
दीनदयाल शर्मा मौत अपने आप में एक गहरा आघात है। जब किसी परिवार पर यह दुख टूटता है, तो उनका मन, तन और आत्मा सब कुछ टूट जाता है। ऐसे वक्त में एम्बुलेंस चालकों की मनमानी वसूली जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। जिले के एमजी अस्पताल से शव ले जाने के लिए परिजन तय किराये की जगह निजी चालकों की मर्जी से वसूली झेलने को मजबूर हैं। कभी 80 किमी के सफर के लिए कोई 3000 रुपए मांगता है, तो कोई 1800 में ही तैयार हो जाता है। यह खेल सिर्फ पैसों का नहीं, बल्कि संवेदनाओं की हत्या का है। शव अगर पुराना हो और सड़ांध मार रहा हो, तो किराया तीन गुना तक बढ़ जाता है।
चिकित्सा विभाग द्वारा टेंडर के जरिए संचालित एम्बुलेंस का किराया तय है। अस्पताल परिसर में पहले से निजी एम्बुलेंस खड़ी कर संचालक पार्किंग चार्ज प्रतिमाह दे रहे हैं। निजी एम्बुलेंस की दरों को लेकर कोई गाइडलाइन जानकारी में नहीं है।
डॉ. दिनेश माहेश्वरी,पीएमओ, एमजी अस्पताल
कोविड काल में परिवहन विभाग ने एम्बुलेंस किराए को लेकर स्पष्ट निर्देश जारी किए थे। आदेश के अनुसार, प्रथम 10 किमी के बाद की दूरी का दो गुना (आने-जाने) जोड़कर कुल यात्रा तय की जाती थी। जैसे, अगर किसी एम्बुलेंस ने 50 किमी की दूरी तय की, तो पहले 10 किमी छोड़कर बाकी 40 किमी का दो गुना यानी 80 किमी माना जाएगा। इस पर 10 किमी का 500 और शेष 1000 रुपए जोड़कर कुल 1500 रुपए किराया बनता था।
यहां एमजी अस्पताल परिसर में खड़ी विभिन्न संस्थाओं-संगठनों की एक दर्जन में से तीन-चार एम्बुलेंस के चालकों से मंगलवार को पत्रिका ने कुशलगढ़ शव ले जाने के लिए बात की, तो विचित्र स्थिति सामने आई। एक एम्बुलेंस चालक ने तीन हजार रुपए, तो दूसरे ने 2700 रुपए भाड़ा बताया। एक अन्य दो हजार रुपए में ले जाने को सहमत हुआ, तो उसे पोस्टमार्टम के बाद कॉल करके बुलाने की बात की। फिर कुछ देर बाद उसके ही चालक ने शव की खातिर नरमी दिखाई और कॉल कर 1800 रुपए में छोडऩे पर रजामंदी जताई। इससे साफ हुआ कि 80 किमी दूर शव ले जाने का भाड़ा हर कोई अपनी मर्जी के मुताबिक वसूलने में लगा है।
अधिकृत की दरें फिक्स, बाकी पार्किंग का पैसा देकर मस्त
एमजी अस्पताल से एम्बुलेंस सेवाओं की बात करें तो यहां डिटोन कंपनी से अधिकृत तीन एंबुलेंस गर्भवती, प्रसूता और एक साल तक के शिशु के लिए हैं, जो टेंडर के अनुसार निर्धारित दरों पर संचालित है। इसमें 12 किलोमीटर तक 250 रुपए, 12 से 25 किमी तक 500 और 25 किमी से ज्यादा के सफर पर 9 रुपए प्रति किलोमीटर की दर तय है। इसके दीगर, जो भी निजी एम्बुलेंस एमजी अस्पताल से चल रही हैं, उनके लिए कोई निश्चित दर नहीं है। एमआरएस में 500 रुपए महीना पार्किंग का देकर एमजी अस्पताल में खड़ी गाडिय़ों के चालक मनमाने पैसे ले रहे हैं।
35 किमी दूरी के लिए पुलिस के सामने भी मांग लिए छह हजार
इससे पहले शनिवार को घाटोल पुलिस के सामने खुली लूट के प्रयास दिखलाई दिए। लिव इन में रहते तकरार पर युवती की हत्या के मामले पर पुलिस ने खेत में दफन शव को निकलवाकर लाई थी। शव तीन दिन पुराना होने से सड़ांध मार रहा था। घाटोल से जो पिकअप वाहन चालक लाया, वह मोर्चरी में शव उतरवाकर चला गया। पोस्टमार्टम उपरांत शव वापस ले जाने की समस्या हो गई। यहां पुलिसकर्मियों ने एक एम्बुलेंस चालक को बुलाया, तो वह शहर से मात्र 35 किमी दूर गरनावट ले जाने के लिए छह हजार रुपए मांगने लगा। गरीब परिवार से लूट देखकर थानाधिकारी प्रवीणसिंह सिसोदिया ने उसे भगा दिया। फिर पुलिस लाइन के बाहर से पिकअप वाहन मंगवाकर उन्होंने दो हजार रुपए भाड़ा खुद ही दिया।