अक्टूबर में ठहरा गर्भ, ऑपरेशन के वक्त अनदेखी
नसबंदी ऑपरेशन के कुछ दिन बाद महिला की तबीयत बिगड़ने लगी तो वह चिकित्सक के पास गई। चिकित्सकों ने जांच के बाद बताया कि वह गर्भवती है। इसके बाद सोनोग्राफी करवाई, जिसमें गर्भ 28 सप्ताह एक दिन का बताया गया। रिपोर्ट के अनुसार गर्भ अक्टूबर, 2024 में ही ठहर चुका था। यानी ऑपरेशन के वक्त वह पहले से ही गर्भवती थी, लेकिन बिना जांच के ऑपरेशन कर दिया गया।गलती छुपाने-धमकाने का आरोप
पीडि़ता ने आरोप लगाया कि जब वह अपनी पीड़ा व शिकायत लेकर पति के साथ मोहकमपुरा सीएचसी पहुंची तो वहां मौजूद स्टाफ और चिकित्सक ने दुर्व्यवहार किया और धमकाते हुए कहा कि अगर ऊपर शिकायत की तो ठीक नहीं होगा।यह है गलत नसबंदी या नसबंदी के बाद गर्भ ठहरने पर राहत के प्रावधान
-असफल नसबंदी, महिला के फिर से गर्भवती होने पर ‘कंपेंसेशन स्कीम फॉर फेलियर ऑफ स्टरलाइजेशन (2014)’ के अनुसार जन्म लेने वाले जीवित बच्चे की स्थिति में 30,000 रुपए का मुआवजा।-महिला की मृत्यु पर परिवार को 2 लाख रुपए तक मुआवजा।
-नसबंदी के दौरान दुर्घटना या स्थायी क्षति पर 50,000 रुपए तक मुआवजा।
गलती से नसबंदी पर क्या हो सकता है?
यह एक गंभीर चिकित्सीय लापरवाही है। इसमें कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। महिला को मानवाधिकार उल्लंघन, मानसिक व शारीरिक पीड़ा के आधार पर मुआवज़े की मांग का अधिकार है। वह राज्य महिला आयोग, स्वास्थ्य विभाग, पुलिस, या उपभोक्ता न्यायालय में शिकायत दर्ज करा सकती है। उचित दस्तावेज और सोनोग्राफी रिपोर्ट के आधार पर, पीड़िता को एक लाख रुपए या अधिक का मुआवजा मिल सकता है, यदि मामला न्यायालय में प्रमाणित हो।राजस्थान में 11KV लाइन के करंट से ठेकाकर्मी की मौत, परिजनों का फूटा गुस्सा, 4 घंटे पोल पर लटका रहा शव
इन्हें कर सकते हैं शिकायत
बीसीएमओ या सीएमएचओ, जननी सुरक्षा योजना या आरसीएच कार्यक्रम प्रभारी अधिकारी, राज्य महिला आयोग, मानवाधिकार आयोग, उपभोक्ता फोरम। यह भी पढ़ें‘पाकिस्तान का पानी रोक सकते हैं तो…’, शेखावाटी में पानी के मुद्दे पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री का बड़ा बयान
शिकायत पर मंगवाए दस्तावेज
यह मामला मेरे संज्ञान में भी आया है। पोर्टल पर शिकायत दर्ज की गई थी। संस्थान से संबंधित दस्तावेज मंगवाकर रिपोर्ट सीएमएचओ को भेज दी गई है। वहां से आगे की कार्रवाई की जाएगी।-डॉ. गिरीश भाभोर, ब्लॉक सीएमएचओ, छोटी सरवा