शिकायत से खुला मामले का राज
यह मामला तब सामने आया जब रचना क्रिएशन्स ऑटो प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजर निखिल सिंह (निवासी खिरिया, बेलभरिया, थाना वजीरगंज, जिला गोंडा) ने देवा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि उनकी कंपनी का ई-रिक्शा पार्ट्स से लदा ट्रक (HR 38 AC 5354) बीते 12 जून की रात किसान पथ पर जबरी कला बस स्टॉप के पास खड़ा था। तभी अज्ञात चोरों ने ट्रक का तिरपाल काटकर उसमें से कीमती सामान चोरी कर लिया। प्राप्त शिकायत के आधार पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 379 व अन्य सुसंगत धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर जांच प्रारंभ की।
पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर बनी विशेष टीम
पुलिस अधीक्षक अर्पित विजयवर्गीय के निर्देशन पर थाना देवा के प्रभारी निरीक्षक के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई। टीम ने मैनुअल इंटेलिजेंस, तकनीकी सर्विलांस और सीसीटीवी फुटेज के सहारे कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचाया। छानबीन के बाद पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि चोरी में संलिप्त गिरोह के कुछ सदस्य किसान पथ के पास देखे गए हैं।
तीन अभियुक्त गिरफ्तार
- पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए रिट्स रिसॉर्ट, किसान पथ के पास से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार अभियुक्तों के नाम हैं:
- आदिल पुत्र बबलू (निवासी हुसैनमऊ, थाना देवा)
- बछराज पुत्र बाबूलाल (निवासी हुसैनमऊ, थाना देवा)
- सद्दाम अली पुत्र कुर्बान अली (निवासी मोहल्ला शेख-2, कस्बा व थाना देवा)
बरामद सामान और अवैध हथियार
गिरफ्तार अभियुक्तों के पास से चोरी किए गए ई-रिक्शा पार्ट्स के अलावा एक अवैध तमंचा (.315 बोर) व एक जिंदा कारतूस बरामद किया गया है। साथ ही वारदात में प्रयुक्त अर्टिगा कार (UP 78 HV 6954) भी पुलिस ने कब्जे में ली है। अवैध हथियार की बरामदगी के आधार पर अभियुक्त आदिल के खिलाफ अलग से आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया है।
गिरोह का तरीका और नेटवर्क
पुलिस जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि यह गिरोह एक संगठित और सुनियोजित तरीके से ट्रकों से माल चोरी करता था। इनकी कार्यशैली कुछ इस प्रकार थी ,गिरोह के सदस्य रात्रि में हाईवे किनारे खड़े ट्रकों की रेकी करते थे। मौका पाते ही ट्रक का तिरपाल काटते और उसमें रखे सामान को निकाल लेते थे। चोरी का माल ये सस्ते दामों पर स्थानीय स्तर पर या अन्य जिलों में बेच देते थे। घटना में प्रयुक्त वाहन किराए पर लेते थे जिससे शक कम हो। गिरोह के एक सदस्य आदिल के खिलाफ लखनऊ के थाना गोसाईगंज में भी पहले से आपराधिक मामला दर्ज है। आदिल पर आरोप है कि वह पहले भी लाल-नीली बत्ती वाली SUV से चोरी का माल परिवहन करता था, ताकि किसी को शक न हो।
गिरोह की पेशेवर तैयारी
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, यह गिरोह इतने शातिर ढंग से कार्य करता था कि कोई CCTV कैमरा उनकी गतिविधियों को कैद न कर सके। कई बार इन्होंने मास्क और दस्ताने का उपयोग किया। इनके पास माल चुराने के बाद उसे डंप करने के लिए सुरक्षित ठिकाने भी थे। साथ ही चोरी का माल कहां बेचना है और कब, इसके लिए पूर्व निर्धारित संपर्क भी थे। पुलिस ने जब इनसे पूछताछ की तो उन्होंने स्वीकार किया कि वे इस काम को कई महीनों से कर रहे हैं और बाराबंकी के अलावा लखनऊ, सीतापुर और फैजाबाद में भी उन्होंने ऐसी ही वारदातें की हैं।
गिरोह के बाकी सदस्यों की तलाश
पुलिस ने गिरोह के अन्य सहयोगियों की तलाश शुरू कर दी है। गिरोह के कुछ सदस्य गाड़ियों की रेकी करने और बिचौलियों से संपर्क बनाए रखने का काम करते थे। पुलिस की टीमें अब गिरोह की नेटवर्किंग की परत-दर-परत जांच कर रही हैं। बरामद मोबाइल फोनों और डिजिटल डेटा की फॉरेंसिक जांच कराई जा रही है ताकि इस गिरोह की व्यापक गतिविधियों का खुलासा हो सके।
पुलिस का बयान
इस संबंध में थाना देवा के प्रभारी निरीक्षक ने कहा कि “गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के दौरान कई अहम जानकारियां सामने आई हैं। गिरोह के नेटवर्क को विस्तार से खंगाला जा रहा है। अन्य सहयोगियों की पहचान कर ली गई है और जल्द ही उन्हें भी गिरफ्तार किया जाएगा।” कानून के तहत सख्त कार्रवाई
गिरफ्तार अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 379 (चोरी), 411 (अवैध संपत्ति की प्राप्ति), 413 (आदतन अपराधी) और आर्म्स एक्ट की धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया है। साथ ही न्यायालय में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।