कैसे हुई कार्रवाई
नगर निगम ने हाल ही में एक सर्वेक्षण कराकर उन लोगों की पहचान की जो बिना अनुमति के वॉल पेंटिंग, होर्डिंग्स और बिजली के खंभों पर विज्ञापन लगा रहे थे। अब इन्हें उनके अवैध विज्ञापन के फोटो सहित नोटिस भेजे गए हैं। नोटिस में कहा गया है कि नगर निगम सीमा में बिना अनुमति के विज्ञापन लगाना अवैध है और यह उत्तर प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति विरूपण निवारण अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है। यदि नोटिस मिलने के बाद भी विज्ञापन नहीं हटाए जाते, तो नगर निगम न केवल सामान जब्त करेगा बल्कि संबंधित व्यक्ति या संस्था के खिलाफ थाने में मुकदमा दर्ज कराएगा।
विज्ञापन से करोड़ों की कमाई, लेकिन नियमों की अनदेखी
नगर निगम को विज्ञापन से हर साल करोड़ों रुपये की आय होती है। पिछले साल इसका टेंडर 4 करोड़ रुपये से अधिक में दिया गया था। हालांकि, नियमों से जुड़े विवादों के कारण यह मामला हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है। इसके अलावा, नगर निगम ने हाल ही में अवैध यूनिपोल हटाने का अभियान भी चलाया। अब तक करीब 20 यूनिपोल हटाए जा चुके हैं। शहर में करीब 300 यूनिपोल वैध माने जा रहे हैं, लेकिन कई जगह 90 मीटर की तय दूरी के नियम का उल्लंघन भी हो रहा है।
सड़क किनारे पड़े निर्माण सामग्री पर भी कार्रवाई
नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य के निर्देश पर नगर निगम ने सड़क किनारे अवैध रूप से रखी गई ईंट, रेत, बजरी और गिट्टी के खिलाफ भी अभियान शुरू किया है। जब्त की गई सामग्री को वार्डों में सड़क और नालियों की मरम्मत में इस्तेमाल किया जाएगा।
अवैध अतिक्रमण हटाने की योजना
नगर निगम के अनुसार, फुटपाथ और सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर लाखों रुपये की कमाई की जा रही है। इसके कारण सड़कें संकरी हो रही हैं, जिससे वाहनों को परेशानी और दुर्घटना का खतरा बढ़ रहा है। इस समस्या को रोकने के लिए नई योजना तैयार की गई है, ताकि दोबारा अतिक्रमण करने की हिम्मत कोई न जुटा सके। नगर निगम ने साफ किया है कि किसी भी हाल में अवैध विज्ञापन और अतिक्रमण नहीं होने दिया जाएगा।