मौलाना शहाबुद्दीन ने फतवे में लिखा है कि इस्लाम एक सरल और सौम्य धर्म है, जिसमें किसी पर जोर-जबरदस्ती या लालच देकर धर्म स्वीकार करवाने की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि पैगंबर-ए-इस्लाम ने अपने जीवनकाल में कभी भी किसी गैर-मुस्लिम को धर्म अपनाने के लिए न दबाव डाला और न ही कोई लालच दिया। इस्लाम हमेशा आपसी सद्भाव, भाईचारे और न्याय का संदेश देता है।
छांगुर बाबा ने इस्लाम को किया बदनाम
मौलाना ने कहा कि छांगुर बाबा द्वारा धर्मांतरण के नाम पर जो कुछ भी किया गया, वह न केवल भारतीय कानून के खिलाफ है, बल्कि इस्लाम की शिक्षाओं का भी खुला उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि इस घटना से पूरे मुस्लिम समाज की छवि धूमिल हुई है और समुदाय को बेवजह आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस्लाम में धर्म प्रचार की अनुमति जरूर है, लेकिन किसी को आर्थिक लालच, शादी या दबाव के ज़रिये धर्म परिवर्तन करवाना नाजायज है।
अवैध नेटवर्क की जड़े 100 करोड़ से ज़्यादा
सूत्रों के मुताबिक, छांगुर बाबा ने योजनाबद्ध तरीके से धर्मांतरण का एक बड़ा गिरोह चला रखा था। उसने गैर-मुस्लिम लड़कियों को मुस्लिम युवकों से शादी कराकर धर्म परिवर्तन करवाया। जांच में सामने आया है कि इस नेटवर्क की जड़ें लगभग 100 करोड़ से अधिक की अवैध फंडिंग से जुड़ी हुई हैं। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की टीम अब उससे विदेशी फंडिंग और लेनदेन को लेकर पूछताछ कर रही है। पुलिस पहले ही बलरामपुर के उतरौला स्थित उसके आलीशान फार्म हाउस को ध्वस्त कर चुकी है।
कौन है छांगुर बाबा?
बलरामपुर के उतरौला का रहने वाला जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा पहले स्थानीय स्तर पर एक सामान्य व्यक्ति के रूप में जाना जाता था। बाद में उसने खुद को आध्यात्मिक गुरु घोषित कर प्रचार करना शुरू किया और धीरे-धीरे एक संगठित नेटवर्क खड़ा कर लिया। धर्मांतरण के इस हाई-प्रोफाइल मामले ने अब राष्ट्रीय बहस को जन्म दे दिया है और मुस्लिम धर्मगुरु भी अब खुलकर उसकी निंदा कर रहे हैं। मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा छांगुर बाबा ने इस्लाम को बदनाम किया है। वह इस्लाम का गुनहगार है और मुस्लिम समाज को उसका पूर्ण बहिष्कार करना चाहिए।”