पुण्य की इस बेला में श्रद्धालुओं ने दान-पुण्य किया। कई लोगों ने अपने पितरों की मोक्ष शांति के लिए तर्पण और पिंडदान भी कराया। घाटों पर स्नान और धार्मिक क्रियाएं दोपहर बाद तक चलती रहीं।
मेले जैसा माहौल, पुलिस-प्रशासन ने संभाली व्यवस्था
चौबारी घाट पर गंगा दशहरा पर मेले जैसा नजारा देखने को मिला। घाट किनारे पूजा सामग्री, फूल, प्रसाद, चाय-नाश्ता और अन्य सामान की अस्थायी दुकानें सजी थीं। प्रशासन और पुलिस की ओर से सुरक्षा, स्वास्थ्य शिविर और पेयजल की व्यवस्था की गई थी। श्रद्धालुओं की सेवा में सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों ने भी योगदान दिया। जगह-जगह प्याऊ लगाई गईं और राहगीरों को शरबत वितरित किया गया।
गंगा का महात्म्य, मोक्ष का प्रतीक
हिंदू धर्म में गंगा को पवित्रता और मोक्ष का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा भगवान विष्णु के चरणों से निकलीं और भगवान शिव की जटाओं में वास किया। उनकी धारा भागीरथ के प्रयास से धरती पर अवतरित हुई, जिसे गंगा कहा जाता है। गंगा स्नान से पापों का नाश और आत्मा को मुक्ति मिलने की मान्यता है।
यातायात हुआ डायवर्ट, भारी वाहनों पर रोक
गंगा दशहरा को देखते हुए बुधवार शाम छह बजे से शहर में यातायात डायवर्जन लागू कर दिया गया। गुरुवार शाम तक रामगंगा पुल और मुख्य मार्गों पर भारी वाहनों और रोडवेज बसों की आवाजाही पर रोक रही। दिल्ली व रामपुर की ओर से आने वाले ट्रक व बसों को झुमका तिराहा, बिलवा व रजऊ तिराहा होते हुए ट्रांसपोर्ट नगर भेजा गया। वहीं बदायूं की दिशा से आने वाले वाहन देवचरा, फतेहगंज पूर्वी होते हुए बड़े बाइपास से शहर में प्रवेश कर सके। नैनीताल और पीलीभीत से आने वाले वाहनों को भी बड़े बाइपास के जरिए ट्रांसपोर्ट नगर की ओर भेजा गया।
श्रद्धा और सुरक्षा के बीच शांतिपूर्वक संपन्न हुआ पर्व
प्रशासन की सतर्कता और श्रद्धालुओं के सहयोग से गंगा दशहरा का पर्व शांतिपूर्ण और व्यवस्थित ढंग से संपन्न हुआ। आस्था, सेवा और व्यवस्था का सुंदर संगम घाटों पर देखने को मिला।