फर्जी प्रबंध समिति बनाकर किया गया षड्यंत्र
विद्यालय प्रबंधक के अनुसार, 28 दिसंबर 2024 को विद्यालय की विधि सम्मत प्रबंध समिति का चुनाव संपन्न हुआ था, जिसे 30 दिसंबर 2024 को डीआईओएस बरेली द्वारा आधिकारिक मान्यता प्रदान की गई। इसके बावजूद, अरविंद अग्रवाल और राम मोहन शर्मा ने फर्जी कागजात तैयार कर दो अलग-अलग प्रबंध समितियाँ बना लीं और उन्हें जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में प्रस्तुत कर दिया।
जॉइंट डायरेक्टर को भेजी रिपोर्ट तब हुआ पर्दाफाश
इस षड्यंत्र का पर्दाफाश तब हुआ जब संयुक्त शिक्षा निदेशक, बरेली मंडल को भेजी गई रिपोर्ट में गंभीर अनियमितताएँ पाई गईं। जाँच में स्पष्ट हुआ कि इन फर्जी समितियों का एकमात्र उद्देश्य विद्यालय की बहुमूल्य संपत्तियों पर अवैध कब्जा करना था।
पहले भी विवादों में रहे हैं आरोपी
यह पहली बार नहीं है जब अरविंद अग्रवाल और राम मोहन शर्मा का नाम अवैध गतिविधियों में सामने आया है। दोनों के खिलाफ पहले से ही थाना प्रेमनगर, बरेली में मुकदमा दर्ज है। आरोप है कि इन्होंने विद्यालय के छात्रावास की भूमि पर जबरन कब्जा करने की कोशिश की, प्रबंध समिति के पदाधिकारियों से रंगदारी माँगी और उन्हें धमकाया। पुलिस द्वारा इस मामले में आरोप पत्र जिला न्यायालय में प्रस्तुत किया जा चुका है।
प्रशासन से सख्त कार्रवाई की माँग
जिला विद्यालय निरीक्षक, डॉ. अजीत कुमार ने इस मामले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, बरेली को पत्र लिखकर भूमाफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग की है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इन आरोपियों पर जल्द कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो न केवल छात्रों के शैक्षिक भविष्य पर खतरा होगा, बल्कि अन्य शैक्षणिक संस्थानों की सुरक्षा भी दाँव पर लग सकती है। एसएसपी के निर्देश पर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। वहीं, विद्यालय प्रबंध समिति ने भी अनुरोध किया है कि विद्यालय की छात्रावास भूमि से अवैध कब्जा हटाया जाए और दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
विद्यालय प्रशासन और छात्रों में रोष
बरेली का यह प्रतिष्ठित विद्यालय पिछले 100 वर्षों से हजारों छात्रों के भविष्य से जुड़ा हुआ है। विद्यालय प्रशासन और छात्र इस घटना से आक्रोशित हैं और प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की माँग कर रहे हैं, ताकि शैक्षिक संस्थानों को भूमाफियाओं के चंगुल से बचाया जा सके।