‘सीमावर्ती जिलों को चाहिए विशेष ध्यान’
हरीश चौधरी ने अपने पत्र में लिखा है कि राजस्थान के सीमावर्ती जिले- बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर और श्रीगंगानगर सामरिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि विकट भौगोलिक परिस्थितियों के कारण इन क्षेत्रों के कई गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। उन्होंने चेताया कि यदि विकास की मुख्यधारा से ये इलाके नहीं जुड़े, तो पलायन, बेरोजगारी और सुरक्षा संबंधी समस्याएं और गंभीर हो सकती हैं।
28 साल पुरानी योजनाएं बंद
विधायक हरीश चौधरी ने याद दिलाया कि 1986-87 में शुरू हुई BADP योजना सीमावर्ती क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे के सुदृढ़ीकरण और लोगों की जीवन गुणवत्ता में सुधार के लिए शुरू की गई थी, 2020-21 में बंद कर दी गई। इसी तरह BRGF योजना 27 राज्यों के 235 पिछड़े जिलों में लागू थी, अब सरकार द्वारा रोक दी गई है। राजस्थान के जिन जिलों में ये योजनाएं चल रही थीं, उनमें बाड़मेर और जैसलमेर जैसे बॉर्डर जिले भी शामिल थे। सीमा की जनता को भी चाहिए विकास
हरीश चौधरी ने अपने पत्र में लिखा कि सेना की सुरक्षा जितनी जरूरी है, उतना ही जरूरी है सीमावर्ती गांवों में रहने वाले नागरिकों का सशक्त होना। सीमाओं के प्रहरी तभी मज़बूत होंगे जब उनके पास शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, बिजली और रोज़गार जैसी बुनियादी सुविधाएं होंगी।
उन्होंने पीएम मोदी से आग्रह किया कि बीकानेर दौरे के दौरान वे इन योजनाओं को पुनः लागू करने की बड़ी घोषणा करें, जिससे सीमावर्ती क्षेत्र विकास की मुख्यधारा से जुड़ सकें।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहला दौरा
गौरतलब है कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार राजस्थान के सरहदी क्षेत्र बीकानेर में एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। इस दौरे के दौरान वे 26,000 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। कार्यक्रम को लेकर प्रशासन और भाजपा संगठन युद्धस्तर पर तैयारियों में जुटा है, जबकि जनता में भी जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। बताते चलें कि इससे पहले जब भारत ने पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक की थी, तब भी प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी पहली सभा राजस्थान के चूरू जिले में की थी। इस बार भी ऑपरेशन सिंदूर के बाद उनका पहला सार्वजनिक संबोधन मरुधरा की धरती से हो रहा है।