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जानिए बाड़मेर में क्यों सिर फटे हुए व्यक्ति को अस्पताल भेज रहा है बाहर

राजकीय अस्पताल बाड़मेर में सिटी स्केन मशीन नहीं होने का दर्द विधायक ने विधानसभा तक पहुंचाया, जिला परिषद के सदस्यों ने भी आवाज दी और 25 से 30 मरीज और उनके परिजन तो प्रतिदिन ही इस पीड़ा को बयां कर रहे है लेकिन राजमेस की कानों की ठेठी नहीं निकल रही है। चर्चा में यह भी है कि टेण्डर को लेकर खींचतान में बाड़मेर के दर्द को उलझा दिया गया है।

बाड़मेरMar 21, 2025 / 09:45 pm

Ratan Singh Dave

बाड़मेर .
राजकीय अस्पताल बाड़मेर में सिटी स्केन मशीन नहीं होने का दर्द विधायक ने विधानसभा तक पहुंचाया, जिला परिषद के सदस्यों ने भी आवाज दी और 25 से 30 मरीज और उनके परिजन तो प्रतिदिन ही इस पीड़ा को बयां कर रहे है लेकिन राजमेस की कानों की ठेठी नहीं निकल रही है। चर्चा में यह भी है कि टेण्डर को लेकर खींचतान में बाड़मेर के दर्द को उलझा दिया गया है।
राजकीय अस्पताल बाड़मेर में सिटी स्कैन की सेवाएं बंद होने को सालभर बीत गया। मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में मरीजों का प्रतिदिन की सख्त जरूरत इस सुविधा के यह हाल एक दिन हों तो भी सवाल उठता है। बावजूद इसके एक साल से मामला अटका है और सशक्त पैरवी के बावजूद राजमेस की कानों की ठेठी नहीं निकल रही है। अस्पताल के बाहर का टेण्डर कर दिया गया लेकिन भीतर सेवा नहीं मिल रही है।
विधायक ने उठाया मामला
विधायक डा. प्रियंका चौधरी बताती है कि यह मामला गंभीर है। मरीजों की पीड़ा को समझने की जरूरत है। प्रतिदिन 30 से अधिक ऐसे मरीज जिनमें से अधिकांश गंभीर होते है, उनके सिटी स्कैन करवाना जरूरी हो जाता है। इन मरीजों को डेढ़ किमी बाहर तक जाना आना पड़ता है। जो दुर्घटना में घायल है या अंतिम सांसे ले रहे है, उनकेा इस दौर में सिटी स्कैन नहीं तक यह भी पता नहीं लगता कि चोट कहां लगी है और इलाज किसका करना है,ऐसे में सिटी स्कैन करवाना बेहद जरूरी हो जाता है। डॉक्टर भी मजबूर होते है और मरीज भी, लिहाजा उनको बाहर भेजना पड़ रहा है। सिटी स्कैन मशीन अस्पताल के भीतर हों, यह मांग राज्य की विधानसभा में उठाई गई। सरकार से मांग की है।
जिला परिषद में उठा मुद्दा
बीते दिनों जिला परिषद की बैठक में सदस्य नरपतराज मूंढ ने मामला उठाया। उन्होंने बताया कि जुलाई 2024 से यह सिटी स्कैन मशीन बंद है। इससे मरीजों को तकलीफ हो रही है। गंभीर मरीज बाहर इलाज को ले जाए जा रहे है। मरीजों की तकलीफ और आर्थिक नुकसान हो रहा है। मरीजों की पीड़ा को कोई नहीं समझ रहा है। जिला परिषद में भी मामला उठने के बाद इस को लेकर प्रभावी कार्यवाही नहीं हुई। बैठक में जिला कलक्टर, विधायक, सांसद व तमाम अधिकारी मौजूद थे।
ये बाहर किसकी है लैब
जनप्रतिनिधियों ने यह भी सवाल उठाया है कि यह बाहर लैब किसकी है? इसकी भी जांच होनी चाहिए। भीतर सुविधा के बीच में कहीं यहां तो राजनीति नहीं हो रही है। टेण्डर को लेकर चल रही खींचतान भी चर्चित है कि सिटी स्कैन का टेण्डर पुरानी फर्म लेना चाहती है और अन्य भी तैयार हो गए है। टैण्डर को लेकर ऊपर स्तर पर खींचतान है।
एक्सपर्ट व्यू
सिटी स्कैन मशीन अस्पताल के लिए बेहद जरूरी है। मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में पहले यह सुविधा थी। जब टेण्डर पर सुविधा है तो टेण्डर खत्म होने से पहले ही यह निर्णय होना चाहिए। पूर्व में भी सिटी स्कैन बंद रहने, ज्यादा सिटी स्कैन लिखने से नंबर नहीं आने और अन्य तकलीफों से मरीज भुगतते रहे। यदि मरीजों को यह सुविधा दी गई है तो इसकी व्यवस्था भी तो व्यवस्थित हों। सरकार की मंशा पर अव्यवस्थाएं पानी फेर रही है।- डा.गणपतसिंह राठौड़, पूर्व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी

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