यही तस्वीर — पसीने से भीगे चेहरे के साथ, सीमेंट के बैगों के बीच खड़े रेखाराम की — सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी।
Labour Success Story: मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती।” यह लाइन बाड़मेर जिले के गांव मातासर के रेखाराम पर बिल्कुल सटीक बैठती है। मजदूरी करते-करते भी पढ़ाई का सपना न सिर्फ देखा, बल्कि उसे पूरा भी किया। मजदूर दिवस के मौके पर रेखाराम की संघर्ष और सफलता की कहानी सोशल मीडिया पर एक बार फिर चर्चा में है।
31 वर्षीय रेखाराम पिछले कई वर्षों से सीमेंट के ट्रकों से बैग उतारने का काम कर रहे थे। तपती धूप में मजदूरी करते हुए उन्होंने रीट लेवल-2 (साइंस-मैथ) की तैयारी की और आखिरकार सफलता उनके कदमों में आई। जिस वक्त परिणाम आया, उस वक्त रेखाराम एक ट्रक से सीमेंट उतार रहे थे। जब मोबाइल पर रिजल्ट देखा, तो खुशी से आंखें छलक पड़ीं, लेकिन काम अधूरा नहीं छोड़ा। पूरा ट्रक खाली करने के बाद ही उन्होंने जश्न मनाया।
यही तस्वीर — पसीने से भीगे चेहरे के साथ, सीमेंट के बैगों के बीच खड़े रेखाराम की — सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी। यह तस्वीर दो साल पुरानी है जो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई थी। पुलिस ने इसे सोशल मीडिया पर शेयर किया था जिस पर लाखों लोगों ने कमेंट किए थे।खुद राजस्थान पुलिस ने भी उन्हें शुभकामनाएं दी थीं।
रेखाराम की पढ़ाई की शुरुआत गांव के सरकारी स्कूल से हुई थी। 12वीं सीकर से साइंस विषय में की और फिर बाड़मेर से बीएससी और जोधपुर से बीएड किया। आर्थिक तंगी के बावजूद पढ़ाई से नाता नहीं तोड़ा। उनकी पत्नी सुरती देवी, जो कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं, ने भी हर कदम पर उनका साथ दिया। रेखाराम की कहानी बताती है कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, अगर मन में कुछ कर गुजरने की जिद हो, तो कोई मंजिल दूर नहीं। मजदूर दिवस पर यह कहानी हर उस इंसान के लिए उम्मीद की किरण है, जो अपनी मेहनत से जिंदगी बदलने का सपना देखता है।
Hindi News / Barmer / Labour Success Story: सीमेंट के बोरे उतारते-उतारते मजदूर बन गया शिक्षक, रेखाराम ने लिखी मेहनत की नई परिभाषा