जल संसाधन विभाग के अनुसार राजा मानसिंह प्रथम के शासनकाल में वर्ष 1894 में 7.30 लाख रुपए की लागत से छापरवाड़ा बांध का निर्माण कराया था। बांध का भराव 17 फीट और कैचमेंट 322 स्क्वायर माइल है। बांध की लबाई 14,200 फीट होने के साथ ही इसमें जलभराव की क्षमता 1236 मिलियन क्यूबिक लाख घन फीट है। बांध का अधिकतम सिंचित क्षेत्र 47,468 एकड़ है लेकिन बांध भरने पर 29,000 एकड़ भूमि की सिंचाई हो सकती है। बांध से दूदू, फागी व टोंक जिले की मालपुरा तहसील के गांवों के किसानों को पानी मिलता है। पानी पहुंचाने के लिए नहरों का निर्माण कराया गया।
बांध : क्षमता : भराव
हनुमान सागर गागरडू : 09 फीट : 04 फीट
धोबोलाव बांध नरैना : 12 फीट : 6.9 फीट
बांडोलाव बांध नरैना : 07 फीट : 01.8 फीट
नया सागर मौजामाबाद : 13 फीट : 06.8 फीट
हिंगोनिया बांध : 15 फीट : 03 फीट
पीपला बांध : 12 फीट : 04.10 फीट
कालख बांध : 26 फीट : 00 फीट
वर्ष आवक
2017 : शून्य
2018 : 2.11 फीट
2019 : 10.4 फीट
2020 : 5.9 फीट
2021 : 10.11 फीट
2022 : 12.6 फीट
2023 : 4.0 फीट
2024 : 17 फीट दूदू में कितनी बारिश
2017 : 326 एमएम
2018 : 605 एमएम
2019 : 611 एमएम
2020 : 429 एमएम
2021 : 733 एमएम
2022 : 670 एमएम
2023 : 731 एमएम
2024 : 671 एमएम
ईआरसीपी परियोजना में छापरवाड़ा बांध शामिल है। योजना के तहत बांध-नहर के साथ ही इसके 11741 हैक्टेयर क्षेत्र का कायाकल्प होगा। वहीं ईआरसीपी में ही कालख सागर बांध को शामिल किए जाने से 10961 हैक्टेयर क्षेत्र का कायाकल्प होगा।