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दूसरी तरफ पति ने भी पत्नी को साथ रखने की याचिका दायर कर पत्नी पर झूठे व्यक्तिगत आरोप लगाने और सोशल मीडिया पर निजी जानकारी सार्वजनिक करने का झूठा आरोप लगाया। विचारण सुनवाई के दौरान पति बीमार होने के कारण निर्धारित पेशी पर अदालत नहीं पहुंच पाया और कोर्ट ने एकपक्षीय तलाक दे दिया था। पति के वकील राजेंद्र उपाध्याय ने बताया कि पति ने कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ एक पक्षीय तलाक को चुनौती दी और कहा कि वह पत्नी के साथ दांपत्य जीवन बिताना चाहता है।
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दंपती का एक बच्चा है जो पिता के साथ रहता है। कोर्ट ने पुन: दोनों पक्षों को सुनवाई का अवसर दिया और मामले में निर्णायक मोड़ तब आया जब बच्चे ने अदालत में कहा कि वह अपनी मां और पिता दोनों के साथ रहना चाहता है। बच्चे ने यह भी कहा कि मां ने काफी लंबे समय से मुलाकात नहीं की। कोर्ट ने बच्चे की भावनाओं को देखते हुए और पत्नी के द्वारा आरोप साबित नहीं करने और सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद कोर्ट ने एक पक्षीय तलाक को निरस्त कर दिया।