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दुर्ग राजेश पांडेय ने बताया कि लिपिक द्वारा सहायक प्राध्यापकों के साथ दुर्व्यवहार और उनकी डिपॉजिट की राशि के भुगतान के लिए 1 फीसदी कमीशन की मांग की जाती रही है। इसके अलावा लिपिक की पूर्व पदस्थापना चंदूलाल चंद्राकर शासकीय महाविद्यालय धमधा में भी प्राचार्य के साथ सहयोग न करते हुए मनमानी में दोषी पाया गया है। लिपिक के कृत्यों के लिए सिविल सेवा नियम के तहत निलंबन की कार्रवाई की गई है। निलंबन अवधि में लिपिक को रायपुर क्षेत्रीय अपर संचालक कार्यालय में अटैच किया गया है।
तीस हजार मांगे इसके बाद बिल को क्लीयरेंस में भेजने के लिए लंबा इंतजार करवा दिया। कुछ समय बाद बिल क्लीयर करने के लिए प्रोफेसर से 20 फीसदी कमीशन की डिमांड की। बताया जा रहा है कि बिल अमाउंट करीब 1.50 लाख रुपए था, जिसमें लिपिक ने चिकित्सा देयक की राशि का 20 फीसदी यानी 30 हजार रुपए मांगे। लिपिक द्वारा जानबूझकर बिल अटकाए जाने और कमीशनबाजी की शिकायत प्रोफेसर ने अपर संचालक क्षेत्रीय कार्यालय दुर्ग राजेश पांडेय से की।
मामले की जांच के बाद लिपिक भुवनेश्री कश्यप को दोषी पाया गया। अपर संचालक की अनुशंसा और दस्तावेजों को देखने के बाद उच्च शिक्षा संचालनालय ने लिपिक के निलंबन की कार्रवाई कर दी है।