20 प्रतिशत ही सौर ऊर्जा का उपयोग उद्योगों में 100 प्रतिशत क्षमता के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे आवश्यकता का 20 प्रतिशत ही सौर ऊर्जा का उपयोग होता है। 80 प्रतिशत बिजली डिस्कॉम से लेनी पड़ती है। सोलर केवल 8 घंटे यानि 9 से 5 बजे तक ही ऊर्जा उत्पादन करता है। इसके बाद डिस्कॉम की बिजली पर निर्भर रहना पड़ता है। जबकि औद्योगिक इकाइयां 24 घंटे चलती है। इसके कारण उद्योगों को 7.50 से 8 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदनी पड़ती है। इस आर्थिक मंदी में यदि कांट्रेक्ट डिमांड का 300 से 400 प्रतिशत सोलर एनर्जी इस्टॉलेशन का प्रावधान हो तो उद्योगों को भी संबल मिल सकता है। महंगी बिजली की वजह से भीलवाड़ा के उद्यमी दूसरे राज्यों से प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रहे हैं। उद्योग नीमच, मंदसौर तथा गुजरात में पलायन कर रहे हैं।
गुजरात में यह फायदा गुजरात में पावर टेरिफ में एक रुपया प्रति यूनिट से अनुदान पांच वर्ष के लिए दिया जा रहा है। ऑपनएसेस से खरीदे गए पावर पर भी यह अनुदान लागू है।
महाराष्ट्र में 2 रुपए की छूट इलेक्ट्रिसिटी-पावरलूम, निटिंग, होजरी, गारमेंट इकाई के लिए 3.40 रुपए से 3.77 रुपए प्रति यूनिट की छूट तथा प्रोसेसिंग एवं स्पिनिंग इकाई के लिए 2 रुपए प्रति यूनिट की छूट मिल रही है।
आंध्रप्रदेश में यह मिल रहा लाभ इलेक्ट्रिसिटी सब्सिडी-एमएसएमई इकाई के लिए 2 रुपए प्रति यूनिट की छूट दी जा रही है। औद्योगिक संगठनों ने की थी दरें कम करने की मांग, सरकार ने नहीं मानी
राजस्थान में कोई फायदा नहीं दूसरे राज्यों के मुकाबले राजस्थान में कोई फायदा नहीं मिल रहा। यहां सबसे महंगी बिजली मिल रही। टेक्सटाइल पॉलिसी में विद्युत दरों में किसी तरह की छूट या अनुदान नहीं है। जबकि अन्य राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र तथा आंध्रप्रदेश में 1 से 3 रुपए प्रति यूनिट का अनुदान मिल रहा है।
उद्योगों को नहीं मिल रहा सेट ऑफ टेक्सटाइल उद्यमी सोलर के बड़े प्लांट लगा रहे हैं। अतिरिक्त बिजली उत्पादन होने से सरकार तीन रुपए प्रति यूनिट की दर से खरीदती है। उद्योग को यही बिजली आठ रुपए प्रति यूनिट की दर से खरीदनी पड़ती है। उद्योगों को सेट ऑफ मिलना चाहिए। औद्योगिक संगठनों की मांग है कि सरकार प्लांट लगाने की क्षमता 300 से 400 प्रतिशत करें ताकि उद्योगों को सस्ती बिजली मिल सके।
– पीएम बेसवाल, उद्यमी भीलवाड़ा