केंद्र सरकार की प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी-एमआई) योजना के तहत किसानों को कम पानी में अधिक फसल लेने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसके तहत फव्वारा संयंत्र, मिनि स्प्रिंकलर और ड्रिप संयंत्र पर केंद्र व राज्य सरकार की ओर से अनुदान उपलब्ध कराया जाता है। उद्यान विभाग के अधिकारियों ने किसानों को प्रेरित करके खेतों में फव्वारा संयंत्र और ड्रिप संयंत्र आदि लगवा दिए। इन योजना में 75 प्रतिशत तक अनुदान उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है। राज्य सरकार की ओर से 40 प्रतिशत और केंद्र सरकार की ओर से 60 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराया जाता है। इसके तहत राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध कराए जाने वाला अनुदान किसानों को मिल चुका है, लेकिन केंद्र सरकार की ओर उपलब्ध कराया जाना वाला अनुदान नहीं मिला है। इसके कारण किसान अनुदान के लिए उद्यान विभाग के चक्कर काट रहे हैं। उधर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बजट की मांग कर रखी है। आने पर किसानों को वितरित किया जाएगा।
ड्रिप सिंचाई इससे 50 से 70 प्रतिशत पानी की बचत होती है। पानी को कम दबाव वितरण प्रणाली से बार-बार छोड़ा जाता है। इसमें छोटे व्यास के प्लास्टिक पाइप लगे होते हैं। इन्हें एमिटर या ड्रिपर्स कहा जाता है। पौधे के पास सीधे भूमि की सतह पर पहुंचते हैं। यह बागवानी फसलों के लिए उपयोगी होती हैं।
स्प्रिंकलर सिंचाई पाइप और स्प्रिंकलर के एक नेटवर्क से बनी होती है। पाइप पानी को उचित दबाव पर सभी ऑपरेटिंग स्प्रिंकलर को इसकी आपूर्ति करते हैं। पानी एक जेट के रूप में नोजल से बाहर निकलता है जो जमीन पर गिरने वाली पानी की बूंदों और बढ़ते पौधों की पत्तियों जैसे बारिश की बूंदों के रूप में गिरता है।