केन बेतवा लिंक परियोजना के प्रभावितों के विस्थापन की रणनीति पर तेजी से काम किया जा रहा है। केन नदी पर 5500 करोड़ रुपए से ढोढऩ बांध के निर्माण के लिए टेंडर किया जा चुका है। बांध के निर्माण के लिए 8 साल की अवधि प्रस्तावित है। ढोढऩ बांध का निर्माण कार्य केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद शुरु होगा।
प्राधिकरण ने परियोजना के तहत अब तक पन्ना और छतरपुर जिला प्रशासन के माध्यम से 4 हजार हेक्टेयर जमीन पन्ना टाइगर रिजर्व (पीटीआर) को सौंपी है। इसमें से 3400 हेक्टेयर छतरपुर जिले में और 600 हेक्टेयर पन्ना जिले में सौंपी गई है। इसके अलावा छतरपुर जिले में एक हजार हेक्टेयर राजस्व भूमि सौंपने की प्रक्रिया भी चल रही है। जंगल में बसे गांवों को भी विस्थापित किया जा रहा है। विस्थापन से खाली होने वाली 1300 हेक्टेयर निजी जमीन भी पीटीआर को सौंप दी जाएगी।
केन-बेतवा लिंक परियोजना केंद्र और राज्य सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है। यह आठ साल में पूरी होगी। निर्माण कार्य की कार्ययोजना के मुताबिक परियोजना के प्रीकंस्ट्रक्शन और इनवेस्ट सर्वे के लिए 243 दिन का समय तय किया गया है। वहीं 730 दिनों में जमीन अधिग्रहण का लक्ष्य रखा गया है। पहुंच मार्ग के लिए 487 दिन, प्रोजेक्ट रोड के लिए 488 दिन, ऑफिस व कर्मचारी निवासी के लिए 518 दिन और निर्माण के लिए बिजली उपलब्ध कराने के लिए 549 दिन का लक्ष्य रखा गया है। विस्तृत डिजाइन व ड्राइंग के लिए 730 और टेंडर प्रक्रिया के लिए 640 दिन का समय तय किया गया है। इस प्रकार करीब 2 साल बाद ही निर्माण कार्य शुरु होगा।
केन बेतवा परियोजना में छतरपुर जिले के 14 गांव विस्थापित किए जा रहे हैं। प्रभावित गांवों के ग्रामीणों को चार गांवों में बसाया जाएगा। जिन गांवों का विस्थापन होगा उनमें भरकुआं, ढोढन, खरियानी, कुपी, मैनारी, पलकोंहा, शाहपुरा, सुकवाहा, पाठापुर, नैगुवां, डुंगरिया, कदवारा, घुघरी बसुधा शामिल हैं। इन गांवों के विस्थापित परिवारों को भैंसखार, राइपुरा, नंदगांयबट्टन और किशनगढ़ में बसाया जाएगा। इन चारों स्थानों पर जमीन को चिह्नित कर लिया गया है।
केन बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना में पन्ना जिले के भी 11 गांव विस्थापित किए जाएंगे। पहले जिले के 8 गांवों को विस्थापित करने के लिए चिह्नित किया गया था। इनमें पन्ना तहसील के गहदरा, कटहरी बिलहटा, मझौली, कोनी और डोंडी और अमानगंज तहसील के खमरी, कूडऩ और मरहा गांव शामिल हैं। इसके अलावा ललार, रमपुरा, जरधोबा और कंडवाहा गांवों की भी शासकीय राजस्व भूमि विस्थापित करने का फैसला लिया गया है, तीनों गांवों में लोक सुनवाई की जा चुकी है। विस्थापित होने वाले सभी 11 गांव पीटीआर के अंदर बसे हुए हैं। इन गांवों की जमीनों को पत्रा टाइगर रिजर्व को सौंप दिया जाएगा।
केन बेतवा लिंक प्रोजेक्ट बुंदेलखंड की तस्वीर बदल देगा। बुंदेलखंड में मध्यप्रदेश के 10 जिले- पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन शामिल हैं जबकि उत्तरप्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिले भी इसमें आते हैं।
केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट से इन सभी 14 जिलों के लाखों किसानों को फायदा पहुंचेगा। 10 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई हो सकेगी। 62 लाख लोगों को पीने का साफ पानी मिल सकेगा। प्रोजेक्ट के अंतर्गत 103 मेगावाट हाइड्रो पावर और 27 मेगावाट की क्षमता वाला सोलर प्लांट भी बनाया जाएगा।