सीएम डॉ. मोहन यादव(CM Mohan Yadav) ने गुरुवार रात कमिश्नर-कलेक्टर कॉन्फ्रेंस में मातृ-शिशु मृत्यु दर पर चिंता जताई और सुधार के निर्देश दिए। ये भी पढ़ें-
ज्योतिरादित्य सिंधिया को लगी चोट, इलाज में जुटी डॉक्टरों की टीम, खबर से हड़कंप
ये प्रयास हुए, वो भी नाकाफी साबित रहे
● शिशुओं की देखभाल के लिए त्रिस्तरीय प्रणाली पर काम। ● 62 सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट (एनएनसीयू) क्रियाशील। ● 199 न्यूबोर्न स्टेबिलाइजिंग यूनिट (एनबीएसयू)। ● प्रसव केंद्रों पर न्यूबोर्न केयर कॉर्नर और जिला अस्पतालों में पीआइसीयू बनी। ● शिशु स्वास्थ्य संस्थानों में मुस्कान कार्यक्रम चला।
बिहार-महाराष्ट्र ने ऐसे कम किया आइएमआर
बिहार, महाराष्ट्र आदि राज्यों ने जन्म के समय कुशल प्रसव, अच्छी प्रसवोत्तर देखभाल, स्तनपान और पर्याप्त पोषण, टीकाकरण और सामान्य बाल्यावस्था रोगों के उपचार जैसे बुनियादी जीवनरक्षक उपायों तक आसान पहुंच सुनिश्चित कर अपने यहां आइएमआर घटाई है। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाओं के विस्तार पर ध्यान दिया गया। ये भी पढ़ें-
20 साल पुरानी रंजिश… तेरहवीं की पंगत में बैठे व्यक्ति की गोली मारकर हत्या, अब तक 7 लोगों की मौत गांव में अब भी ये सुधार जरूरी
– उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बना कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर की नियुक्ति हो।
– हर जिले में कम से कम 5 सीएचसी को फर्स्ट रेफरल यूनिट बनाया जाना चाहिए। – गायनिक और शिशु रोग विशेषज्ञों की नियुक्ति नहीं हो पाने के कारण अभी एफआरयू नहीं बन पाई हैं।
– प्रदेश में एसएनसीयू और एनबीएसयू की संख्या भी बढ़ाने की जरूरत है। (स्वास्थ्य विभाग के सेवानिवृत्त संचालक डॉ. पंकज शुक्ला के अनुसार।) स्रोत- एसआरएस बुलेटिन 2022, आंकड़े प्रति हजार जीवित जन्म में।