शोधकर्ता बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के माइक्रो बायोलॉजी विभाग के ड़ॉ. सुमित कुमार रावत के अनुसार जांच में सात प्रतिशत सुअरों और आठ प्रतिशत घोड़ों में यह वायरस मिले। जब कोई क्यूलेक्स मच्छर या अन्य कीट संक्रमित जानवरों को काटने के बाद इंसानों को काटेगा तो यह वायरस मनुष्य में स्थानांतरित हो जाता है। एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानि अचानक दिमागी बुखार के लक्षण वाले 761 मरीजों के रक्त नमूनों का इएलआइएसए किट से जांच की गई। 13 प्रतिशत यानि 99 मरीजों में जापानी इंसेफेलाइटिस(Japanese Encephalitis) पाए गए। इनमें से 74 प्रतिशत बच्चे थे।
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● 2019 में 42 मामले, 1 मौत
● 2020 में 11 मामले, 3 मौत ● 2021 में 29 मामले, 4 मौत ● 2022 में 70 मामले, ● 2023 में 34 मामले ● 2024 में 128 मामले ● कुल 314 मामले, 8 मौत
ये हैं लक्षण
● तेज बुखार, कपकपी, सिरदर्द, गले में संक्रमण, शरीर में अकड़न, उल्टी
● पीड़ित को झटके आते हैं।
● जापानी बुखार के कई मामलों में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। ये होता है असर
● इसके कारण बच्चे विकलांग हो सकते हैं।
● सबसे ज्यादा खतरा 1-15 वर्षीय बच्चों को खतरा
● नर्वस सिस्टम पर असर से मौत भी हो सकती है। ये भी पढ़ें-
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● एक से 15 वर्ष के बच्चों को टीका लगवाना। ● जापानी बुखार की शंका होने पर शीघ्र डॉक्टर को दिखाएं।
● इसका टीका नि:शुल्क लगता है, कोई साइड इफेक्ट नहीं।