ऐसा भी हुआ, इंतजार करते रह गए नेता
एक साल में नेता निगम मंडलों में राजनीतिक नियुक्ति का इंतजार करते रहे और जनवरी में वन विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) अशोक बर्णवाल को वन निगम का अध्यक्ष बना दिया। इस निगम में भाजपा के 3 कद्दावर नेता इंतजार कर रहे थे। एक पूर्व वन मंत्री का भी नाम था, हालांकि अभी पूर्व मंत्री के अध्यक्ष बनाने की संभावना खत्म नहीं हुई है। राजनीतिक नियुक्तियों को रद्द करने के बाद स्वत: निगम मंडल के पावर विभागीय आइएएस के पास चले गए। सितंबर 2024 में मोहन सरकार ने निगम मंडलों से प्रशासनिक-प्राधिकृत अफसरों को हटाया। विभागीय मंत्रियों को जिएमा दिया।
राजनीतिक नियुक्तियों को रद्द करने के बाद स्वत
निगम मंडल के पावर विभागीय आइएएस के पास चले गए। सितंबर 2024 में मोहन सरकार ने निगम मंडलों से प्रशासनिक-प्राधिकृत अफसरों को हटाया। विभागीय मंत्रियों को जिएमा दिया।
इन तर्कों और इरादों पर अटकीं नियुक्तियां
लोकसभा चुनाव खत्म हुआ तो मोहन सरकार पहली बारिश में जान-माल की चिंता में जुट गई। इसके बाद भाजपा का सदस्यता अभियान शुरू हो गया। तब सभा और संगठन को यह अंदेशा था कि संगठन चुनाव के बीच राजनीतिक नियुक्तियां की तो वंचित रहने वाले नेता नाराज हो जाएंगे। बारिश का मौसम खत्म हुआ तो दिसंबर 2024 में सरकार एक साल के कार्यकाल का लेखा-जोखा जनता तक पहुंचाने के मकसद में जुटी। तब यह मंशा थी कि नियुक्तियां खोली गईं तो कई नेता पद पाने के चक्कर में उलझ जाएंगे। इससे नए-नए गुट बन सकते हैं।
इसके बाद बुदनी और विजयपुर सीट पर उप चुनाव से टल गई। अब संगठन चुनाव पर नजर है। इस बीच विधानसभा सत्र में सभा व संगठन पर विपक्ष ने कई आरोप लगाए।
…तो कहा जाएगा आप तो उम्रदराज हो गए
एक जनप्रतिनिधि ने पत्रिका से को बताया, पार्टी को पहले विधानसभा, फिर लोकसभा में बड़ी जीत दिलाई। सभा-संगठन स्तर पर मान्यता मिली कि निचले स्तर पर काम हुआ, तभी इतिहास बना। फिर भी नियुक्तियों में देरी की जा रही। यह वर्षों से राजनीति करने वाले हम जैसे नेताओं के भविष्य के साथ ठीक नहीं है, योंकि एक-एक साल करके हमारी उम्र बढ़ती जा रही है। यदि अब मौके नहीं मिले तो बाद में कह दिया जाएगा कि आप तो उम्र दराज हो गए।