गुजरात की तर्ज पर हो सकते है बदलाव
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कांग्रेस इस बार गुजरात की तर्ज पर बदलाव कर रही है। यानी संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में पुराने चेहरों के साथ-साथ नए, ऊर्जावान और जमीनी नेताओं को तरजीह दी जा रही है। जो लोग जिलों में सक्रिय हैं, जनता और कार्यकर्ताओं से जुड़े हैं और सरकार के खिलाफ आवाज उठाने में पीछे नहीं रहते, उन्हें प्राथमिकता मिल सकती है। (mp congress district presidents) 25% नेताओं की वापसी की संभावना
फिलहाल प्रदेश में 70 संगठनात्मक जिले हैं, जिनमें 55 शहरी और 15 ग्रामीण हैं। इनमें दो-दो जिलाध्यक्ष बनाए जाते हैं। खास बात यह है कि इस वक्त 5 जिलों में पद खाली हैं, तो सबसे पहले इन्हीं जिलों में नियुक्ति होगी। वहीं बाकी 65 में से करीब 16 जिलाध्यक्षों को दोबारा मौका मिलने की संभावना है। यानी कुल मिलाकर लगभग 25% चेहरों की वापसी तय मानी जा रही है। (mp congress district presidents)
युवाओं को मिलेगा बड़ा रोल
जानकारी ये भी है कि युवा नेताओं को संगठन में बड़ी भूमिका देने की तैयारी है। पार्टी का फोकस अब ऐसे जिलाध्यक्षों पर है जो ना केवल संगठन को जिलों में एक्टिव करें, बल्कि सरकार के खिलाफ फ्रंटफुट पर आकर लड़ाई लड़ें। कांग्रेस यह कवायद 2027 के नगरीय निकाय चुनाव को ध्यान में रखते हुए कर रही है। संगठन को बूथ स्तर तक सक्रिय करने की रणनीति बनाई जा रही है। (mp congress district presidents)