वे पहली बार 2003 में उमा भारती सरकार में मंत्री बने और इसके बाद मामूली अंतराल छोड़कर लगातार मंत्री रहे हैं। उनके पास पर्यटन, वन, स्कूल शिक्षा, परिवार कल्याण और आदिम जाति अनुसूचित जनजाति कल्याण जैसे बड़े विभाग रहे। ऐसे में सवाल ये है कि क्या मंत्री जी की मजबूत स्थिति के कारण वे गिरफ्तारी के बाद भी पद पर बने रहेंगे या फिर इस्तीफा देंगे?
पार्टी का एक धड़ा इस्तीफे पर अड़ा
सूत्रों के मुताबिक विजय शाह के इस्तीफे को लेकर पार्टी दो खेमों में बंटी है। एक खेमा शाह के तत्काल इस्तीफे की मांग कर रहा है। तो दूसरा डैमेज कंट्रोल में जुटा है। मंत्री के बयान से पार्टी को बड़ी क्षति हुई है। इधर, शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि मंत्री की आपत्तिजनक टिप्पणी से राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की छवि को नुकसान हुआ है। ऐसे में बड़ी कार्रवाई से ही डैमेज कंट्रोल हो सकता है। कानूनी दांव पेंच को देखते हुए जल्द फैसला सामने आएगा।
गिरफ्तारी करना यह पुलिस के विवेक पर…
मंत्री शाह के मामले में मप्र कैडर के पूर्व आइपीएस आरएसएल यादव ने कहा, गिरफ्तार कब करना है यह पुलिस के विवेक पर है। हालांकि मंत्री पर धारा 152 देश की अखंडता, एकता व शांति को खतरे में डालने जैसे गंभीर मामलों में केस है। अब इसमें पुलिस को आगे की कार्रवाई तय करना है। वैसे भी पुलिस चालान पेश करने से पहले कभी भी आरोपित को गिरफ्तार कर सकती है।
कांग्रेस को इस्तीफा मांगने का अधिकार नहीं
न्यायपालिका ने जैसा कहा उसका यथायोग्य पालन किया। आने वाले समय में भी न्यायपालिका की मंशा से बढ़ेंगे। कांग्रेस को इस्तीफा मांगने का अधिकार नहीं है। कांग्रेस के कई मंत्रियों पर मुकदमे चल रहे हैं। अरविंद केजरीवाल सीएम रहते जेल गए तब कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा। कांग्रेस को तो बोलने का अधिकार ही नहीं है। कांग्रेस ने जितनी बेशर्मी की हदें पार की, आज तक किसी ने नहीं कीं। -डॉ. मोहन यादव, मुख्यमंत्री
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