जितना अच्छा काम, उतनी अच्छी सीआर
माना जा रहा है कि यह फॉर्मेट परफॉर्मेंस को एक क्लिक में सामने लाने का आधार बन सकता है। सूत्रों के मुताबिक आने वाले समय में सीआर लिखी जानी है। ऐसे अफसर जिनके विभागों की कार्ययोजना परिणाम आधारित और जनउपयोगी होंगी, उनकी सीआर में चार चांद लग सकते हैं।
अभी बदल जाती है 50% प्राथमिकताएं
अभी विभागीय मुखिया के बदलते ही करीब 50 फीसद प्राथमिकताएं बदल जाती हैं। अर्थात कई अफसरों की प्राथमिकताओं में से पहले के अफसर की प्राथमिकता वाले काम गायब हो जाते हैं, इसका नुकसान जनता व प्रदेश को तो होता ही है, विभाग का वह अमला भी परेशान होता है तो अफसरों के बदलते ही नई प्राथमिकताओं के बोझ से दब जाते हैं। सरकार को भी ठोस परिणाम नहीं मिलते। ये भी पढ़ें
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-बीते वर्ष में किए विशेष काम। आगामी वर्षों में किए जाने वालेविशेष कामों की योजना।
-विजन 2047 को पूरा करने के लिए विभाग की रणनीति। -गरीब, अन्नदाता, युवा व नारी के कल्याण के लिए किए जाने वाले प्रकल्प व पूरा करने की योजना। -मुख्यमंत्री की प्राथमिकता से जुड़े काम की पूर्ति का विवरण, आगे कैसे पूर्ति करेंगे, उसके लक्ष्य।
-बीते वर्ष की योजनाओं की लक्ष्य की पूर्ति व आगामी वर्ष केयोजनाओं को पूरा करने के लक्ष्य। -विभाग से जुड़े संकल्पों, उनके पालन की स्थिति व कार्ययोजना। -विभाग ने क्या संकल्प लिए,उन्हें पूरा करने की रणनीति।
-विभाग से जुड़ी केंद्रीय योजनाएं, उनमें लक्ष्य पूर्ति का स्टेटस, आगामी समय में कैसे पूर्ति की जाएगी, उसका विवरण। -विभाग को केंद्र से कितने पत्र मिले, एक माह में कितने निराकृत।