इंदौर ट्रक ऑपरेटर एंड ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष सीएल मुकाती ने लगाए। यह भी कहा कि सौरभ शर्मा जैसे लोग एक बहुत ही छोटी कड़ी है। कई नेता-अफसर इस कांड में मिले हुए हैं। यह मध्य प्रदेश का बड़ा आर्थिक अपराध है, जिसकी जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए। असल में पहली बार 2019 में सेंधवा आरटीओ बैरियर पर रिश्वतखोरी की शिकायतें सामने आई थी जो कि ट्रक ऑपरेटर एसोसिएशन के सदस्यों ने तत्कालीन निरीक्षक दशरथ सिंह व अन्य के खिलाफ इंदौर लोकायुक्त को की थी।
लोकायुक्त ने जांच परिवहन विभाग को सौंपकर पल्ला झाड़ लिया। कार्रवाई के नाम इंदौर से भोपाल व ग्वालियर तक खानापूर्ति हुई। तब एसोसिएशन ने ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस दिल्ली के साथ मिलकर भोपाल से दिल्ली तक प्रदर्शन किए। पीएमओ से केंद्रीय सड़क परिवहन विभाग तक शिकायतें की। जिस पर केंद्रीय मंत्री गडकरी ने सरकार, तत्कालीन सीएस, परिवहन विभाग के पीएस को 5 पत्र लिखे और लेकिन कोई भी प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई।
2019 में कांग्रेस की कमल नाथ सरकार थी, तभी सेंधवा बैरियर पर ऑपरेटरों का आंदोलन शुरू हुआ। निरीक्षक दशरथ सिंह की नियुक्ति भी तभी हुई थी। केंद्र सरकार, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी व उनके मंत्रालय के सभी पत्र भाजपा की तत्कालीन सरकार के समय आए।
केंद्र व गडकरी की ओर से लिखे थे पत्र
आयुक्त परिवहन को 14 सितंबर 2020, पीएस परिवहन को 6 सितंबर व 12 दिसंबर 2021 को, मध्य प्रदेश शासन को 9 दिसंबर 2021 और 16 जुलाई 2022 को पत्र लिखे। इसके अलावा केंद्र ने तीन बार एडवायजरी भी जारी की थी।
ऐसे समझे कब क्या हुआ
2019 में कांग्रेस की कमल नाथ सरकार थी, तभी सेंधवा बैरियर पर ऑपरेटरों का आंदोलन शुरू हुआ। निरीक्षक दशरथ सिंह की नियुक्ति भी तभी हुई थी। केंद्र सरकार, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी व उनके मंत्रालय के सभी पत्र भाजपा की तत्कालीन सरकार के समय आए। तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस 24 मार्च 2020 से 30 नवंबर 2023 तक राज्य के मुख्य सचिव रहे। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस की आरटीओ एंड ट्रैफिक कमेटी व इंदौर ट्रक ऑपरेटर एंड ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने उन्हें कई पत्र लिखे।
तब हमें झूठा कहा गया
इंदौर ट्रक ऑपरेटर एंड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सीएल मुकाती ने आरोप लगाए कि 2019 में सेंधवा बैरियर से रोजाना 6000 वाहन गुजरते थे। हर दिन १ करोड़ तक वसूली होती थी। विरोध करने वालों पर शासकीय काम में बाधा डालने के केस दर्ज होते थे। एमपी में ऐसे 47 बैरियर थे जिन पर हर महीने 350 करोड़ की अवैध वसूली होती थी। इन सभी पर तथ्यात्मक शिकायतें की, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हुई। ट्रक ऑपरेटरों, ट्रांसपोर्टरों को हड़ताल करनी पड़ी, हमारी केंद्रीय यूनियन ने हस्तक्षेप किया। यदि उसी समय कार्रवाई होती तो बीते 5 वर्षों में हुई 18-21 सौ करोड़ की लूट को रोका जा सकता था।