100 करोड़ के सौरभ शर्मा का गुजरात कनेक्शन, पत्रिका पड़ताल में बड़ा खुलासा
Saurabh Sharma Case: आरटीओ का पूर्व आरक्षक सौरभ जिस गाड़ी से मुंबई होकर दुबई तक भागा, उसका रजिस्ट्रेशन शरद जायसवाल के नाम, एजेंसियों को इनपुट-शरद पिछले माह गया विदेश, चेतन लोकायुक्त की रेड के दो दिन बाद 21 दिसंबर को लौटा, ईडी, आयकर, डीआरआइ और लोकायुक्त कर रही जांच, अब भी साथी राजदार शिकंजे से बाहर
Saurabh Sharma Case New Update: प्रदेशभर में चर्चा का केंद्र बन चुका परिवहन विभाग का पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा अभी भी जांच एजेंसियों की पकड़ से बाहर है। उसे पकडऩे लोकायुक्त ने दो समन और आयकर ने लुकआउट सर्कुलर भी जारी कर रखा है, इसके बावजूद उसकी लोकेशन पता नहीं लगी। पर ऐसे लोग खुलकर सामने आने लगे हैं जो, कभी सौरभ से जुड़े रहे, पर बाद में उससे दूरी बना ली। ऐसे लोग एजेंसियों से उसकी जानकारी साझा कर रहे हैं।
कार्रवाई की भनक के बाद सौरभ अपने राजदार शरद जायसवाल के साथ लैंडरोवर कंपनी की गुजरात नंबर की डिस्कवरी गाड़ी से भागा। गाड़ी सौरभ की पसंदीदा थी। लंबी दूरी का सफर इसी से करता था। नंबर प्लेट वीआइपी बना रखी थी। गाड़ी का नंबर जीजे 23 सीबी 0012 है, पर उसने नंबर प्लेट में सिर्फ 12 लिखवा रखा था।
सौरभ का हाईप्रोफाइल लोगों में बैठना था। यह गाड़ी अक्सर चार इमली में पावरफु ल लोगों के बंगलों के इर्द गिर्द दिखती। सौरभ किसी करीबी के घर जाता तो गाड़ी उसके घर के मुख्य द्वार से पहले ही पार्क करवाकर मेन गेट तक पैदल जाता।
पत्रिका पड़ताल में भरूच का निकला गाड़ी का रजिस्ट्रेशन
पत्रिका ने पड़ताल की तो ये गाड़ी शरद जायसवाल की निकली। गाड़ी का रजिस्ट्रेशन भरूच से हुआ। गाड़ी 6 साल 4 माह पुरानी है। रजिस्ट्रेशन 29 अगस्त 2018 को हुआ। गौरतलब है कि सौरभ गाड़ी और जमीन अपने खास लोगों के नाम खरीदता था। सौरभ व शरद के गुजरात में भी कारोबार होने की सूचना है। एजेंसियों को इनपुट मिला है कि सौरभ देश में ही है। वह लोकायुक्त की कार्रवाई के दूसरे दिन ही भारत आ गया। अब परिजनों के जरिए अग्रिम जमानत जैसी प्रक्रिया में जुटा है।
ये 4 और राजदार
आरटीआइ एक्टिविस्ट संकेत साहू ने सीएम, लोकायुक्त और डीजीपी से सौरभ के राजदार 4आरक्षकों की शिकायत की गई है। सौरभ इन्हीं आरक्षकों को चेकपोस्ट पर तैनात करता था। नाकों का पूरा सिस्टम यहीं संभालते थे।
आरक्षक नरेंद्र सिंह भदौरिया: खुद को परिवहन विभाग में भिंड के भाजपा नेता व पूर्व मंत्री का करीबी बता रसूख बनाया। इंदौर में कोठी बनाई, रजिस्ट्री रिश्तेदार के नाम पर कराई है। श्योपुर, भिंड और ग्वालियर में जमीन खरीदी है।
आरक्षक गौरव पाराशर: पिछोर का है। कांग्रेस से पूर्व विधायक से नजदीकी है। करोड़ों की बेनामी संपत्ति है। इंदौर, पिछोर, झांसी में भी प्रॉपर्टी बनाई। आरक्षक हेमंत जाटव: शिवपुरी के रन्नौद का। रन्नौद में ही कुछ समय पहले 20 एकड़ जमीन खरीदी।
आरक्षक धंनजय चौबे : अभी भी सौरभ के संपर्क में। छिंदवाड़ा, इंदौर और भोपाल में संपत्ति बनाई। (शिकायत के अनुसार)
सौरभ और सहयोगियों के ठिकाने से मिले 33 करोड़ रुपए और 4 करोड़ का कैश
सौरभ शर्मा के भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर के आठ ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 27 दिसंबर को सर्चिंग की गई। इसमें सौरभ के करीबी चेतन गौड़ के नाम 6 करोड़ की एफडी की जानकारी ईडी को मिली है। सौरभ के परिवार के सदस्यों और कंपनियों के नाम पर 4 करोड़ से ज्यादा बैंक बैलेंस मिला।
सौरभ की कई कंपनियों और परिवार के सदस्यों के नाम पर 23 करोड़ से अधिक की अचल संपत्तियों के दस्तावेज के साथ कई अन्य संदिग्ध दस्तावेज मिले हैं। सोमवार को ईडी ने भोपाल कार्यालय में चेतन के बयान लिए। इस दौरान उससे कार में सोना और रुपयों के बारे में पूछताछ की।
लोकायुक्त की एफआइआर के आधार पर जांच
ईडी ने लोकायुक्त में सौरभ पर दर्ज एफआइआर के आधार पर जांच शुरू की। पीएमएलए के तहत जांच में बैंक खातों और संपत्तियों ब्यौरा देखा। इसमें पता चला कि सौरभ ने कई कंपनियां बना रखी, जिसमें करीबी निदेशक थे। ईडी ने चेतन की गाड़ी से 52 किलो सोना और 11 करोड़ नकद आयकर के जब्त करने का उल्लेख भी किया है।
परिवहन में नौकरी के दौरान किया भ्रष्टाचार
प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की जांच में ये तथ्य भी सामने आया है कि सौरभ शर्मा ने ये संपत्तियां परिवहन विभाग में आरक्षक की नौकरी के दौरान बनाई है। बता दें ईडी की टीम ने सौरभ शर्मा के ठिकानों सहित उसके करीबी दोस्त चेतन सिंह गौर, शरद जायसवाल और रोहित तिवारी सहित प्रमुख व्यक्तियों के ठिकानों पर सर्च ऑपरेशन चलाया।
अब भी सबसे बड़ा सवाल, लोकायुक्त से कहां रह गई चूक
सौरभ के ठिकानों पर लोकायुक्त की टीम ने 19 दिसंबर को सर्चिंग की। इस दौरान 7.98 करोड़ कुल जिसमें कैश और अन्य सामग्री लोकायुक्त की टीम को मिली थी। साथ ही लोकायुक्त ने दावा किया कि कई दस्तावेज भी मिले, जिनका परीक्षण किया जा रहा है। पर उसके एक सप्ताह बाद जब ईडी की टीम ने सर्चिंग ऑपरेशन चलाया तो उन्हें सौरभ सहित उसके करीबियों के ठिकाने से 33 करोड़ के दस्तावेज सहित अन्य संदिग्ध दस्तावेज मिले।
ऐसे में बड़ा सवाल ये हो रहा है कि आखिर लोकायुक्त टीम की सर्चिंग में कहां चूक रह गई। क्या राज्य की एजेंसी लोकायुत ने सभी दस्तावेजों को सही तरीके से नहीं खंगाला। महज 140 कदम दूर बन रही सौरभ के घर के पास बन रही उसकी नई कोठी की जांच क्यों नहीं की। जबकि मोहल्ले के हर व्यक्ति को इसकी जानकारी थी। सौरभ के सबसे बड़े राजदार शरद जायसवाल के घर पर भी लोकायुक्त की टीम ने सर्चिंग नहीं की, जबकि ईडी ने उसके घर से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं।
सौरभ की मां के आयकर में बयान
सौरभ की मां उमा शर्मा सोमवार दोपहर आयकर भवन पहुंचीं। आयकर अधिकारियों ने उनके बयान लिए। सौरभ की संपत्ति और अन्य निवेश के बारे में भी पूछताछ हुई। आयकर ने सौरभ की मां और पत्नी दिव्या के नाम भी नोटिस जारी किए। पर अब तक सौरभ के राजदार चेतन के ही बयान हो पाए हैं। सौरभ और उसकी पत्नी दिव्या अब तक सामने नहीं आए।
कांग्रेस को सौरभ की हत्या की आशंका
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मीडिया से बातचीत में सौरभ की हत्या की आशंका जताई। बोले-उसने मुंह खोला तो कई चेहरे बेनकाब हो सकते हैं इसलिए उसे गिरतार कर सुरक्षा देना जरूरी है, जिससे भ्रष्टाचार का सच जनता के सामने आए। भाजपा राज में दिखने लगा, भ्रष्टाचारी चेहरा कैसा होता है।कर्ज, क्राइम, करह्रश्वशन और कमीशन की सरकार चल रही है।
Hindi News / Bhopal / 100 करोड़ के सौरभ शर्मा का गुजरात कनेक्शन, पत्रिका पड़ताल में बड़ा खुलासा