Bijapur News: सिर्फ 12 बॉडी रखने की व्यवस्था
बीजापुर जिला मुख्यालय में
स्वास्थ्य विभाग के पास सिर्फ 12 बॉडी रखने की व्यवस्था है। मरच्यूरी में अगर 12 से ज्यादा बॉडी एक साथ आ जाए तो पुलिस प्रशासन को सीमावर्ती जिलों तक जाना पड़ता है। इसी साल 9 फरवरी को जब टेकामेटा में 31 नक्सली मारे गए तो नक्सलियों के शव को जिला मुख्यालय में रखने की जगह नहीं थी। यहां से सुकमा और दंतेवाड़ा के मरच्यूरी के लिए शवों को भेजा गया था। नक्सल घटना के बीच अगर कोई अन्य लाश जिला अस्पताल में आ जाती है तो शव को सुरक्षित रखने की समस्या पैदा हो जाती है।
क्षमता बढ़ाने की मांग की गई है
डॉ. बीआर पुजारी, बीजापुर सीएमएचओ: लगातार नक्सल घटना हो रही है। इस वजह से अस्पताल में मरच्यूरी की क्षमता बढ़ाने की जरूरत है। हमने इसकी मांग शासन से की है। फिलहाल मुख्यालय में 12 और सभी ब्लॉक में कुल 12 बॉडी रखने के लिए मरच्यूरी उपलब्ध है। मुख्यालय में संख्या बढ़ाने के लिए हम प्रयासरत हैं। शिनाख्ती में हफ्तेभर का समय लग जाता है जिले में अब तक हुई मुठभेड़ों के बाद मारे गए नक्सलियों की पहचान करना और उसके बाद शव को परिजनों को सौंपने की प्रक्रिया में हफ्तेभर से ज्यादा का वक्त लग जाता है। तब तक बॉडी को संभालकर रखने में मरच्यूरी की अहम भूमिका होती है लेकिन जिला मुख्यालय में 12 से ज्यादा शव नहीं रखे जा सकते।
साल 2025 में ही जिले में 83 नक्सली मारे जा चुके
9 जनवरी: सुकमा-बीजापुर बॉर्डर में 3 नक्सली ढेर। 12 जनवरी: बन्देपारा में 7 नक्सली ढेर। 16 जनवरी पुजारी
कांकेर में 18 नक्सली ढेर।
2 फरवरी: गंगालूर में 8 ढेर। 9 फरवरी: नेशनल पार्क के टेकमेटा में 31 नक्सली ढेर। 31 मार्च: अंडरी के जंगल में 26 नक्सली ढेर।
हर ब्लॉक में 3 बॉडी रखने की क्षमता
Bijapur News: जिला मुख्यालय के अलावा भोपालपट्टनम में 3, भैरमगढ़ में 3, उसूर में 3 और नेलसनार में 3 शव रखने के लिए मरच्यूरी बनाई गई है। गंगालूर में भी 3 की क्षमता है लेकिन वहां पर मशीन खराब होने की वजह से बॉडी नहीं रखी जा रही है।