इस तरह चला घटनाक्रम एक महिला (नाम उजागर करने से परहेज) ने किसी कंपनी के आईपीओ खरीदने के नाम पर साइबर ठगों के जाल में फंस गई। इतना ही नहीं, 10 लाख रुपए उसने ठगों के बताए खाते में ट्रांसफर भी कर दिए। ठगों ने पहले उसे 16 लाख के मुनाफे की बात कही। फिर दो दिन बाद 70 लाख रुपए के मुनाफे का झांसा दिया। शर्त रखी कि 70 लाख रुपए खाते में तभी ट्रांसफर होंगे, जब वह पहले 20 लाख रुपए उनके खाते में ट्रांसफर कर दे। महिला मान गई। रुपए ट्रांसफर कराने के लिए एचडीएफसी बैंक की पवनपुरी शाखा में भी पहुंच गई।
बैंक मैनेजर को हुआ संदेह शाखा प्रबंधक सुनील पारीक से मिल कर महिला ने पूरी बात बताई। पहली बार मैंनेजर ने रुपए ट्रांसफर करने में हो रही दिक्कत बताते हुए अगले दिन आने का कह कर टाल दिया। महिला दो-तीन दिन बाद फिर आई। तब मैनेजर को साइबर ठगी का अंदेशा हुआ। पड़ताल की। महिला को समझाया, लेकिन महिला नहीं मानी। अड़ गई। तब मैनेजर रुपए ट्रांसफर करने के लिए राजी तो हुए, लेकिन महिला से पति को साथ लाने को कहा। महिला अगले दिन फिर पहुंची। हालांकि, पति साथ नहीं था।
मैनेजर बोले…समझाने में काम आई पत्रिका की मुहिम महिला आई, तो मैंने साइबर अधिकारियों को भी बुलाया और पति से फोन पर बात की। इसी दौरान उन्हें पत्रिका में रक्षाकवच अभियान की भी जानकारी दी। काउंसलिंग के दौरान महिला को भी थोड़ा शक हुआ। महिला घर लौटी, तो साइबर ठगों का दोबारा फोन आया। तब महिला ने 20 लाख ट्रांसफर करने से पहले 16 लाख रुपए मुनाफे के पहले खाते में डालने की बात कही। उन्होंने फोन काट दिया। फिर महिला ने कई फोन किए, लेकिन ठगों ने रिसीव ही नहीं किया। फिर फोन स्विच ऑफ बताने लगा। पीडि़ता ने साइबर ठगों के बताए बैंक अकाउंट की पड़ताल की, जिसमें दस लाख रुपए डाले थे, तो वह एकाउंट फ्रीज मिला। महिला ने इस संबंध में साइबर थाने में रिपोर्ट भी दी है।