सरसों का ताजिया बीकानेर में हजरत इमाम हुसैन की याद में मोहर्रम विभिन्न स्थानों पर तात पारंपरिक चित्र शैली के सजे ताजियों के साथ-साथ सरसो के हरियल ताजिये भी तैयार किए गए है। मोहल्ला चूनगरान में सरसो के हरियल ताजिये पानी से सिंचाई करता ताजिया कलाकार। फोटो नौशाद अली
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ताजिये पर स्वर्ण नक्काशी … बीकानेर की उस्ता कला विश्व प्रसिद्ध है। सुनहरी कलम से की गई बारीक नक्काशी हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है। मोहर्रम के अवसर पर हर साल उस्ता मोहल्लों में स्वर्ण नक्काशी से तैयार ताजिये को जियारत के लिए निकाला जाता है। ताजिये पर उस्ता कला की कलात्मकता, बारीक नक्काशी, अरबी भाषा में अंकित शब्द चित्रण हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते है। ताजिये को कर्बला में ठण्डा नहीं किया जाता है। इसे खोलकर उस्ता पंचायत के इमामबाड़ा में रखा जाता है। हर साल इस ताजिये पर स्वर्ण नक्काशी के कार्य को बढ़ाया जा रहा है। मोहर्रम के अवसर पर ताजिये पर स्वर्ण नक्काशी करते उस्ता कलाकार। फोटो नौशाद अली
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बीकानेर में हजरत इमाम हुसैन की याद में मोहर्रम विभिन्न स्थानों पर तात पारंपरिक चित्र शैली के सजे ताजियों । मोहल्ला चूनगरान में फोटो नौशाद अली
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ताजिया… जो जहां बना वहीं हुआ ठंडा बीकानेर के डीडू सिपाहियान मोहल्ले में ताजिया चौकी पर मिट्टी से ताजिया बनाया जाता है। इस ताजियों को जहां बनाया जाता है, उसी स्थान पर ही ठंडा किया जाता है। रविवार शाम को इस ताजियों को परंपरागत रूप से ठंडा करते हुए। फोटो नौशाद अली।
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ताजियों का जुलूस … हजरत इमाम हुसैन की याद में शनिवार शाम को निकले ताजियों की जियारत का दौर रविवार को भी दिनभर चला। शाम को ताजियों को नगर की विभिन्न कर्बलाओं में गमगीन माहौल में ठंडे किए गए। इससे पहले ताजियों को जुलूस के रूप में कर्बलाओं की ओर ले जाया गया। ताजियों के जुलूस के आगे अखाड़ों का आयोजन हुआ। अखाड़ो में युवाओं ने हैरत अंगेज व सासहसिक करतब दिखाए। दाऊजी मंदिर रोड़ व कसाई बारी क्षेत्र से निकलते हुए ताजिये। फोटो नौशाद अली।