अब हालात यह हैं कि कृषि विज्ञान के विद्यार्थी और शोधकर्ता प्रयोग और अनुसंधान की बजाय पर्यावरणीय विनाश का प्रत्यक्ष अध्ययन करने को मजबूर हैं। गंदा और रसायनिक पानी भूमि पर फैलने से सैकड़ों हरे पेड़ आज ठूंठ बने नजर आ रहे हैं। 25 साल पुराना जख्म, अब बना नासूर पिछले करीब ढाई दशक से इस औद्योगिक कचरे की अनदेखी चल रही है।
विवि प्रशासन ने जिला प्रशासन, रीको और जिला उद्योग केंद्र से लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) तक कई स्तरों पर शिकायतें कीं। 4 अगस्त 2023 को एनजीटी भोपाल ने स्पष्ट निर्देश भी दिए कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड स्थायी समाधान सुनिश्चित करे। बावजूद इसके, न तो अपशिष्टों का निस्तारण रुका, न ही अधिकारियों की नींद टूटी।
“प्रयोगशाला” बनी जहर की ज़मीन
कृषि विश्वविद्यालय परिसर, जो भविष्य के कृषि वैज्ञानिकों के लिए रिसर्च और नवाचार की भूमि होनी चाहिए थी, आज जहरीले जल और अपशिष्ट का डंपिंग यार्ड बन गई है। हरे-भरे सैकड़ों पेड़ अब सूखी टहनियों के ठूंठ बन गए हैं। पर्यावरणीय क्षरण का असर यह है कि यहां पढ़ने वाले 2500 छात्र-छात्राएं, शिक्षक, वैज्ञानिक और उनके परिवार भी शारीरिक और मानसिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं। समूचे मरुस्थलीय क्षेत्र की पारिस्थितिकी पर भी गंभीर खतरा मंडराता दिख रहा है।
आखिरी उम्मीद…सीएम और राज्यपाल से गुहार
कृषि विवि प्रशासन, कुलपति ने अब आखिरी उम्मीद के रूप में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े से लिखित गुहार की है। इसमें विश्वविद्यालय को बचाने के लिए इंडस्ट्री के गंदे पानी और अपशिष्टों से मुक्ति दिलाने के लिए कार्यवाही का आग्रह किया है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री को किसान सम्मेलन में इस परेशानी से अवगत भी कराया गया था।
आंकड़ों में समझिए…पर्वत सी पीर
– 25 साल से इंडस्ट्री से उत्सर्जित दूषित पानी और अपशिष्ट विवि परिसर में डाला जा रहा है। – 2500 छात्र-शिक्षक और परिवार प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित। – 2001 से विश्वविद्यालय प्रशासन परेशानी से मुक्ति के लिए कर रहा पत्राचार और प्रयास। – 200 से ज्यादा औद्योगिक रासायनिक अपशिष्ट व गंदा पानी जा रहा परिसर में।
दोषी इंडस्ट्री पर कार्रवाई की, स्थाई समाधान रीको के पास
क़ृषि विश्वविद्यालय में इंडस्ट्री के प्रदूषित पानी को रोकने के लिए पांच-छह इंडस्ट्री को बंद कराया है। अन्य पर 22 लाख रुपए से ज्यादा जुर्माना भी लगाया है। रीको ने इंडस्ट्री को पानी डिसचार्ज की अनुमति दे रखी है। रीको ने सीईटीपी लगाना है, उसके लगने के बाद ही स्थाई समाधान होगा। एनजीटी के आदेश की पालना में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सख्त कार्रवाई कर रहा है। – राजकुमार मीणा, क्षेत्रीय अधिकारी राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बीकानेर