शासन उप सचिव (शिक्षा ग्रुप 5) राजेश दत्त माथुर द्वारा प्रारंभिक एवं माध्यमिक शिक्षा निदेशकों को इस संबंध में स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं। सभी अधिकारियों को 21 अप्रैल को होने वाली उच्च स्तरीय बैठक में निरीक्षण से जुड़ी संपूर्ण रिपोर्ट के साथ उपस्थित होने को कहा गया है। इसमें यह भी पूछा गया है कि अब तक कितने निजी स्कूलों का निरीक्षण हुआ, उनमें क्या कमियां पाई गईं और उनके समाधान के लिए क्या कार्रवाई की गई।
विभाग का यह कदम इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर लंबे समय से अभिभावकों में असंतोष बना हुआ था। कई स्कूलों द्वारा एक ही स्थान से यूनिफॉर्म और किताबें खरीदने का दबाव डाला जाता है, जिससे अभिभावकों पर आर्थिक भार बढ़ता है। इसके अलावा मनमाने शिक्षण शुल्क को लेकर भी समय-समय पर शिकायतें सामने आती रही हैं।
अब तक विभागीय अधिकारी शिकायत मिलने पर ही कार्रवाई करते थे, लेकिन अब नियमित निरीक्षण के आदेश से यह व्यवस्था अधिक पारदर्शी और अभिभावक हितैषी बन सकती है। इस पहल से उम्मीद की जा रही है कि निजी स्कूलों की अनियमितताओं पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित होगा।