राजस्थान में शिक्षा विभाग करेगा नई व्यवस्था, अब नजदीकी स्कूलों में भी पढ़ा सकेंगे दूसरे स्कूलों के शिक्षक
Rajasthan News : राजस्थान में शिक्षा विभाग नई व्यवस्था पर विचार कर रहा है। अगर विद्यालय में किसी विषय का शिक्षक नहीं है, तो उस विषय के शिक्षण के लिए अन्य नजदीकी सरकारी स्कूल के शिक्षक की मदद ली जाए। उसे शिक्षण कार्य का दायित्व देकर इसके बदले अतिरिक्त मानदेय जैसी व्यवस्था की जा सकती है।
Rajasthan News : राजस्थान में महात्मा गांधी राजकीय अंग्रेजी माध्यम तथा राजकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में शिक्षकों की कमी से विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इसका समाधान शिक्षा विभाग अब नजदीकी स्कूलों के शिक्षकों की मदद लेकर करने पर विचार कर रहा है।
अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को लेकर गठित कमेटी में शिक्षा मंत्री और निदेशक सहित मंत्रिमंडल के सदस्यों ने इस सुझाव पर विचार किया कि विद्यालय में किसी विषय का शिक्षक नहीं है, तो उस विषय के शिक्षण के लिए अन्य नजदीक सरकारी स्कूल के शिक्षक की मदद ली जाए। उसे शिक्षण कार्य का दायित्व देकर इसके बदले अतिरिक्त मानदेय जैसी व्यवस्था की जा सकती है। ऐसे शिक्षक दोनों विद्यालयों में शिक्षण कार्य करा सकेंगे।
जरूरत के हिसाब से खुले संकाय
बैठक में प्रदेश के सभी विद्यालयों की ग्राम पंचायत एवं शहरी कलस्टर के अनुसार जरूरत के हिसाब से संकाय खोलने पर विचार किया गया। प्रदेश में संचालित विज्ञान संकाय की न्यूनता के मद्देनजर प्राथमिकता विज्ञान संकाय को दी जाए। अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में भी आवश्यकता का आंकलन कर प्राथमिकता से विज्ञान संकाय खोलने पर विचार किया गया।
हिंदी माध्यम में अध्ययन का मौका
बैठक में तय किया गया कि नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करने से सभी विद्यार्थियों को अध्ययन का माध्यम चुनने का अवसर देना होगा। इसे देखते हुए शिक्षा सत्र 2025-26 के लिए प्रदेश में संचालित सभी महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम राजकीय विद्यालयों का संचालन यथावत रखना चाहिए। साथ ही विशेषत: छात्राओं को उनकी सुविधा तथा चयन के अनुसार अंग्रेजी के साथ हिंदी माध्यम में अध्ययन का विकल्प भी देना चाहिए। इस बात की व्यवस्था रहे कि कोई भी विद्यार्थी शिक्षा से वंचित नहीं हो। जिन ग्राम पंचायतों में पूर्व में हिन्दी माध्यम के विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम में रूपान्तरित किया गया, वहां हिन्दी में पढ़ने वाले विद्यार्थी शिक्षा से वंचित हुए। इनके लिए अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों को हिन्दी एवं अंग्रेजी दोनों माध्यम में दो पारी में संचालित करने के विकल्प पर विचार किया गया।