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CG High Court: दुर्घटना मामले में हाईकोर्ट ने दी राहत,11 वर्ष बाद आश्रितों को मिलेगा मुआवजा

CG High Court: कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यद्यपि अन्य हमलावर वाहन की पहचान या पता नहीं लगाया जा सका। लेकिन तथ्य यह है कि यह दो लोगों के बीच एक वाहन दुर्घटना थी।

बिलासपुरJan 01, 2025 / 08:35 am

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CG High Court

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CG High Court: हाईकोर्ट ने दुर्घटना के एक मामले में मृतक के परिजन को राहत दी है। कोर्ट ने उनकी अपील को आंशिक रूप से स्वीकार कर मुआवजा देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि दुर्घटना में तीन वाहन होने और एक वाहन के नहीं मिलने पर चिन्हित वाहन पर घायल दावा कर सकते हैं।
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ये है मामला

अभनपुर जिला रायपुर के ग्राम ग्राम गोतियारडीह निवासी त्रिभुवन निराला का पुत्र रजत कुमार उम्र 24 वर्ष 21 अप्रैल 2013 की शाम को गांव के बिशेसर धृतलहरे के साथ उसकी मोटरसाइकिल (सीजी 04 केपी 3270) में पीछे बैठकर अभनपुर जा रहा था। रास्ते में अज्ञात वाहन के चालक ने टक्कर मार दी। इससे मोटरसाइकिल फिसलकर गिर गई और रजत कुमार को गंभीर चोट आई। 22 अप्रैल 2013 को उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।
पुलिस ने अज्ञात वाहन चालक के खिलाफ जुर्म दर्ज किया। अज्ञात वाहन का पता नहीं चलने पर पुलिस ने मामले को खात्मा के लिए भेज दिया। इस पर मृतक रजत के पिता त्रिभुवन एवं उसकी दो बहनों ने मोटरसाइकिल चला रहे बिशेसर और मोटर साइकिल के मालिक उसके पिता जगत राम, बीमा कंपनी को पक्षकार बनाते हुए मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण में दावा प्रस्तुत किया।

8 लाख 26 हजार रुपए ब्याज के साथ देने के निर्देश

अधिकरण ने जिस अज्ञात वाहन की लापरवाही से दुर्घटना और मौत हुई, उस वाहन को पक्षकार नहीं बनाने पर आवेदन खारिज कर दिया। इसके खिलाफ पिता ने हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत की। सुनवाई उपरांत कोर्ट ने दुर्घटना दावा आवेदन खारिज करने के आदेश को निरस्त करते हुए अपील को आंशिक रूप से स्वीकार किया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यद्यपि अन्य हमलावर वाहन की पहचान या पता नहीं लगाया जा सका। लेकिन तथ्य यह है कि यह दो लोगों के बीच एक वाहन दुर्घटना थी।
जब दो वाहन दुर्घटना में शामिल होते हैं, तो दावेदार उनमें किसी भी वाहन से मुआवजे की राशि का दावा कर सकता है। मुआवजे के आवेदन को इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता कि दुर्घटना में शामिल दूसरे वाहन को पक्षकार नहीं बनाया गया है। कोर्ट ने मृतक की 8000 रुपए प्रतिमाह आय होने का साक्ष्य नहीं होने पर राष्ट्रीय मजदूरी 5000 रुपए मासिक आकलन करते हुए बीमा कंपनी को 90 दिवस के अंदर 6 प्रतिशत ब्याज सहित 8 लाख 26 हजार रुपए आवेदक के खाते में जमा करने का आदेश दिया है।

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