मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच में हुई।
कोर्ट ने कहा कि भूमिका (याचिकाकर्ता) जैसी योग्य ओबीसी महिला उमीदवार को सामान्य महिला श्रेणी में समायोजित नहीं किया गया, जिससे उनका चयन नहीं हो सका। भूमिका ने इस भर्ती प्रक्रिया को वर्ष 2015 में चुनौती दी थी और आरक्षण प्रक्रिया की अनदेखी का आरोप लगाते हुए नियुक्ति की मांग की थी।
चयन प्रक्रिया में त्रुटि
वर्ष 2013-14 में विभिन्न विभागों के सहायक ग्रेड-3 के 33 पदों के लिए विज्ञापन जारी हुआ था। ओबीसी महिला वर्ग के लिए 2 पद आरक्षित थे। याचिकाकर्ता भूमिका ने निर्धारित समय में आवेदन किया और लिखित परीक्षा में 27 अंक, हिंदी टाइपिंग में 12.5, अंग्रेजी टाइपिंग में 13 व इंटरव्यू में 1.5 अंक प्राप्त किए। इसके बावजूद चयन सूची में उसका नाम नहीं आया। अन्य कम अंक प्राप्त करने वाली सामान्य महिला श्रेणी की अभ्यर्थियों का चयन हो गया, जबकि भूमिका के अंक उनसे अधिक थे।
कोर्ट का निर्णय
चयन प्रक्रिया में त्रुटि का आरोप लगाते हुए भूमिका ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। सुनवाई के बाद कोर्ट ने 2015 से ही नियुक्ति देने का आदेश दिया, हालांकि याचिकाकर्ता को बकाया वेतन का लाभ नहीं मिलेगा। नियुक्ति तिथि से ही वरिष्ठता की गणना की जाएगी। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने इस मामले में 7 जनवरी 2025 को आदेश सुरक्षित रखा था।