बदायूं की उसहैत तहसील के नरपत नगला गांव की रहने वाली युवती प्रीति ने VDO भर्ती के लिए आवेदन किया था। लेकिन मामला तब उजागर हुआ जब उसके पूर्व प्रेमी ने सच्चाई उजागर कर दी और उसावां थाने में FIR दर्ज कराई। अब सवाल उठ रहा है कि कैसे एक ही व्यक्ति को अलग-अलग वर्गों के प्रमाणपत्र मिल गए? क्या तहसील स्तर पर बिना जांच के जाति प्रमाणपत्र जारी कर दिए जाते हैं?
शिकायतकर्ता और युवती के प्रेमी ने आरोप लगाया है कि प्रीती नामक युवती ने उसे अपनी जाति बदलकर प्रेम जाल में फंसाया, युवती असल में खटिक जाति से ताल्लुक रखती है, जब युवक ने कहा कि तुमने मुझसे अपनी सच्चाई क्यों छिपाई तो उसने अपने पास रखे अलग-अलग तीन जातियों के सर्टिफिकेट दिखाए, जिनमें एक खटिक, दूसरा यादव और तीसरा जाटव जाति के आधार पर बनवाया गया था। युवती ने यह भी बताया कि उसने इन प्रमाण पत्रों को सरकार की योजनाओं का लाभ लेने के लिए बनवाया और उसने कई योजनाओं का लाभ ले भी लिया है। प्रेमी ने कहा यह तो अपराध है मैं तुम्हारा इन चीजों में साथ नहीं दे सकता तो युवती ने उसे छोड़ दिया। इसके बाद युवती गांव के ही अनिल के साथ रहने लगी।
प्रेमी और उसके रिश्तेदारों को मुकदमे में फंसाया
प्रमोद कुमार ने आरोप लगाया कि उसके सुधीर कुमार, बहनोई पप्पू राठौर और मुन्ना लाल, अशोक वर्मा के ऊपर झूठे बलात्कार का केस लगाया। प्रमोद ने आगे बताया कि कुछ मामलों में पुलिस के द्वारा अंतिम आख्या लगा दी गई है। लेकिन कुछ अभी भी लंबित हैं।
प्रेमी को मारने की साजिश और लूट
जब प्रमोद कुमार ने फर्जी जाति के आधार पर बनाए सर्टिफिकेट पर कार्रवाई करने की बात कही तो प्रीती के परिजन नाराज हो गए। इसके बाद एख दिन प्रीती उसके पिता लालाराम भाई रुपेंद्र और प्रेमी अनिल कुमार घर के अंदर घुस आए। गंदी-गंदी गालियां देते हुए मारपीट की इसके अलावा घर की संदूक का ताला तोड़कर 20 हजार रुपए के साथ-साथ जेवरात भी उठा ले गए। सवालों के घेरे में प्रशासन
इस घोटाले के उजागर होने के बाद दातागंज तहसील के अधिकारियों की भूमिका जांच के दायरे में आ गई है। अगर जांच आगे बढ़ी तो इसमें कई राजस्व व लेखपाल अधिकारी, जाति प्रमाणपत्र सत्यापन कमेटी, और संभवतः कुछ भ्रष्ट कर्मचारियों के नाम भी सामने आ सकते हैं।