क्या है मामला
घटना शनिवार सुबह की बताई जा रही है, जब बुलंदशहर जिले के एक प्राथमिक विद्यालय में कक्षा चल रही थी। इसी दौरान विद्यालय की सहायक अध्यापक संगीता मिश्रा बच्चों को पढ़ा रही थीं। वीडियो में स्पष्ट देखा जा सकता है कि वह अपने मोबाइल फोन पर गाना चला कर गुनगुनाते हुए अपने बैग से तेल की शीशी निकालती हैं और कक्षा के बीचोंबीच बैठकर अपने बालों में चंपी (तेल मालिश) करने लगती हैं। वीडियो में बच्चे सामने बैठे हुए हैं और कुछ डर व असहजता की स्थिति में नजर आ रहे हैं। शिक्षिका का यह व्यवहार पहले ही शैक्षणिक अनुशासन और शिक्षक धर्म के विपरीत माना जा रहा था कि तभी सोशल मीडिया पर इसी शिक्षिका का एक और वीडियो सामने आया, जिसमें वह दो महिला अभिभावकों को छड़ी से पीटती नजर आ रही हैं।
अभिभावकों से मारपीट का वीडियो और बड़ा खुलासा
दूसरे वायरल वीडियो में शिक्षिका दो महिला अभिभावकों से तेज स्वर में बहस करती हुई नजर आती हैं। उसके कुछ ही क्षण बाद वह हाथ में पकड़ी छड़ी से उन अभिभावकों पर प्रहार करने लगती हैं। मौके पर मौजूद कुछ ग्रामीणों और बच्चों ने यह दृश्य अपने मोबाइल फोन से रिकॉर्ड किया और इंटरनेट मीडिया पर डाल दिया, जिसके बाद यह मामला तेजी से वायरल हो गया। इस अमानवीय व्यवहार की हर तरफ निंदा हो रही है और शिक्षक के प्रति लोगों में आक्रोश देखा जा रहा है।
प्रशासन की तत्काल कार्रवाई
मामले के संज्ञान में आते ही बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) ने संगीता मिश्रा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। साथ ही, खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) को मामले की विस्तृत जांच सौंपी गई है। BSA ने स्पष्ट किया कि शिक्षकों से अनुशासन और मर्यादा में रहने की अपेक्षा होती है, लेकिन ऐसे व्यवहार को किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं किया जा सकता। BSA का बयान “वीडियो की पुष्टि होने पर शिक्षिका को निलंबित कर दिया गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के बाद अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। शिक्षकों को समाज में आदर्श बनकर व्यवहार करना चाहिए।”
ग्रामीणों और अभिभावकों का विरोध
घटना के सामने आने के बाद गांव में विरोध का माहौल बन गया है। अभिभावकों का कहना है कि बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा शिक्षकों की जिम्मेदारी होती है। ऐसे में यदि शिक्षक ही इस प्रकार का व्यवहार करेंगे तो छात्रों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? कुछ अभिभावकों ने आरोप लगाया कि यह पहला मौका नहीं है, शिक्षिका अक्सर कक्षा में लापरवाह व्यवहार करती रही हैं। एक स्थानीय अभिभावक ने कहा:“हम अपने बच्चों को स्कूल इस विश्वास के साथ भेजते हैं कि वहां उन्हें ज्ञान, अनुशासन और संस्कार मिलेंगे, लेकिन यहां तो शिक्षक ही तमाशा बना रहे हैं।”
शिक्षा विभाग के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन
शिक्षा विभाग द्वारा सभी शिक्षकों के लिए कक्षा में मोबाइल का उपयोग प्रतिबंधित है, सिवाय आपात या प्रशासनिक कार्यों के। इसके अतिरिक्त, कक्षा में बच्चों के सामने अनुचित या निजी गतिविधियों जैसे चंपी करना, खाने-पीने या निजी बातचीत करना सख्त वर्जित है। अध्यापकों को बच्चों के समक्ष आदर्श प्रस्तुत करने की अपेक्षा की जाती है। मारपीट का मामला तो और भी गंभीर है, क्योंकि शिक्षा विभाग की बाल संरक्षण नीति के तहत किसी भी स्थिति में शारीरिक दंड या मारपीट पूर्णतः निषिद्ध है,चाहे वह छात्रों के साथ हो या अभिभावकों के साथ।
कक्षा का माहौल और छात्रों पर प्रभाव
शिक्षा मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, कक्षा का माहौल बच्चों की मानसिक और भावनात्मक स्थिति पर गहरा प्रभाव डालता है। यदि शिक्षक अनुशासनहीन या हिंसक व्यवहार करते हैं, तो छात्र: - डर और असुरक्षा महसूस करते हैं
- सीखने में रुचि खो बैठते हैं
- गलत आदर्श अपनाने लगते हैं
- विद्यालय आने से हिचकते हैं
- इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षक की नैतिक और व्यावसायिक जिम्मेदारियों का निर्वहन न होने से बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।
क्या है आगे की प्रक्रिया
- खंड शिक्षा अधिकारी की जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी
- शिक्षिका पर अनुशासनात्मक कार्रवाई, वेतन रोक, बर्खास्तगी या विभागीय अभियोजन तक की सिफारिश हो सकती है
- यदि अभिभावकों की ओर से पुलिस शिकायत दर्ज होती है, तो मामला आपराधिक प्रक्रिया के तहत भी दर्ज हो सकता है
- स्कूल में अन्य अध्यापकों की कार्यशैली और आचरण की भी समीक्षा की जा सकती है
- समाज और शिक्षा व्यवस्था को क्या संदेश मिलता है
यह घटना सिर्फ एक शिक्षक या एक विद्यालय तक सीमित नहीं है। यह हमारी शिक्षा व्यवस्था, निगरानी प्रणाली और जवाबदेही पर भी सवाल खड़ा करती है। शिक्षक को समाज में ‘गुरु’ का स्थान प्राप्त है, जो न केवल ज्ञान देता है बल्कि जीवन के संस्कार भी देता है। ऐसे में यदि शिक्षक ही शिष्टाचारहीन, आक्रामक और लापरवाह हो जाएं तो देश की भावी पीढ़ी किस दिशा में जाएगी?